अपने बच्चों से मजदूरी करवा लेना पर सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने न भेजना
पढा़ना है तो भले ही एक समय रोटी खाओ प्राईवेट स्कूल में पढा़ओ
कालपी (जालौन) उत्तर प्रदेश के सरकारी प्राथमिक विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था दुनियां में सबसे बुरी हालात में जहां कैसे हो रहा है भारत भविष्य का निर्माण आज आपको कालपी नगर के विद्यालयों की दशा दुर्दशा की एक झलक दिखाते हैं!
साथियों नगर कालपी में सरकारी प्राथमिक और जूनियर मिलाकर कूल 19 विद्यालय है इनमें मात्र ,14अध्यापक और ,8 शिक्षामित्र हैं जिनके भरोसे एक हजार से अधिक नौनिहालों के भविष्य को संवारने की जिम्मेदारी है!
कहते हैं प्राथमिक विद्यालय में नौनिहालों की नीव का विकास होता है पर नींव ही इतनी कमजोर होगी तो इमारत कैसी होगी ये बहुत ही चिन्ता का विषय है नगर में एक एक अध्यापक के पास दो तीन विद्यालयों की जिम्मेदारी हैं जहां इनको पढ़ाना भी है मिड-डे मील का भोजन भी बनवाना है आफिसियल कार्य भी करना है समय समय पर प्रशिक्षण आदि भी करना है अब आप अन्दाजा लगाएं कितनी पढाई हो पाती होगी ! उदाहरण के लिये बताते हैं एक अध्यापक है राम प्रकाश रायक्वार जिसके पास में दो प्राथमिक और एक जूनियर हाईस्कूल की जिम्मेदारी है पहला प्रा.वि. राजघाट जो नगर के सबसे एक छोर में है दूसरा है वहां से एक किलोमीटर दूर क.प्रा .वि.मनीगंज और तीसरा है नगर के दूसरे छोर में तरीबुल्दा में जूनियर हाईस्कूल इन तीनो विद्यालयों में भोजन बनवाना ड्रेस वजीफा आदि वितरण कराना स्कूल रखरखाव रंगाई पुताई कराना आफीसियल कार्य करना और बच्चों को पढा़ना क्या ये सब एक व्यक्ति को कर पाना सम्भव है ? कमोवेश यही हालात अन्य विद्यालयों में भी हैं !
कालपी की सरकारी शिक्षा व्यवस्था की ऐसी हालत आज से नहीं है और आज जो खबर में लिख रहा हूं ये खबर भी कोई नई खबर नहीं है इसके पूर्व भी कई बार लिख चुका हूं पर कोई कार्यवाही नहीं हुई !
इसके लिये उन अभिभावकों को चेतावनी दे रहे हैं जिनके बच्चे इन सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे है कि भले ही आप एक समय का खाना बन्द कर दो और अपने बच्चों को इन सरकारी प्राथमिक विद्यालयों से निकाल कर प्राईवेट स्कूलों में पढा़ओ अगर फिर भी नहीं पढ़ा सकते तो उनका भविष्य मत बिगाड़ो इन विद्यालयों में पढ़ाने की जगह कहीं कोई काम य हुनर सिखाओ जिससे कम से कम आपके बच्चे कुछ सीख कर कुछ करने लायक बनें और भविष्य में अपना पेट तो भर सकेंगे !
भेड़ बकरियों की तरह इन सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में मत बेंड़ों जहां सिर्फ और सिर्फ आपके बच्चों का भविष्य बिगाडा़ जा रहा है जहां कापी किताबें मिलती हैं ड्रेस वजीफा मिलता है भोजन मिलता है पर एक चीज नहीं मिलती वो है शिक्षा जिसके लिए आप अपने बच्चे को वहां भेजते हो !
जिला बेसिक शिक्षाधिकारी से पत्र के माध्यम से एक और काला सच आपके सामने रखते हैं नगर में कई ऐसे विद्यालय हैं जहां नामांकन तो अस्सी नब्बे बच्चों का है पर असलियत में दस बच्चे भी नहीं है बस नाम दर्ज हैं पढ़ते वो प्राईवेट विद्यालयों में अगर जांच की जहमत करें तो सारा सच सामने होगा ! पर कार्यवाही होगी ऐसा लगता नहीं है क्योंकि उक्त जानकारी पहले भी दे चुके हैं पर आज तक किसी भी अधिकारी ने इसके सुधार की जहमत नहीं की !