जीवन जीने की कला सिखाती है श्री राम कथा
कुसमरा ( मैनपुरी ),मैनपुरी के कस्वा कुसमरा में चल रही नो दिवसीय श्री राम कथा के विराम दिवश में श्री धाम वृंदावन से पधारे आचार्य राम जी द्विवेदी ने नो प्रकार की भक्ति का बर्णन किया जिसमें पूज्य आचार्य श्री ने बताया कि इस जगत में अगर जीने की कला सीखना है तो हमे राम जी के आदर्श को अपनाना होगा राम जी ने हम सब मानब जाती को सिखया ह की इस जगत में कैसे रहना और हमे दुसरो के साथ कैसा बर्ताव करना है अगर हम राम जी के पद चिन्हों पर चले तो इतिहास बदल सकता है राम जी ने माता पिता की आज्ञा मानकर वन को चले गए अगर राम जी मां का कहना न मानते तो केवल आयोध्या के राम बन के रह जाते लाखो करोड़ो भक्तो के ह्रदय में विराजने वाले प्रभु श्री राम कभी न वन पाते यह सब करके राम जी ने हमे सिखया है कि माता पिता के साथ मे रहना है