प्रदूषण दूर करना है तो मंदाकिनी नदी में डलवाई जाय ग्रासकापर् मछली- अजीत सिंह

चित्रकूट ब्यूरो: नमामि गंगे अभियान के तहत प्रदेश सरकार ने 12 जिलों में नदियों की सफाई के लिए मछलियां डलवाने की तैयारी की है। मंदाकिनी नदी में भी मछलियों का शिकार पूणर्तया प्रतिबंधित करने और मछलियां डलवाने की जरूरत है। ग्रासकापर् मछली केवल घास खाती है साथ ही तमाम अन्य प्रजातियां नदी को स्वच्छ रखने में सहायक हैं।
गंगा समिति नमामि गंगे के सदस्य और बुन्देली सेना के जिलाध्यक्ष अजीत सिंह ने जिलाधिकारी से मछलियों के बच्चे नदी में डलवाने की मांग की है। बताया कि नमामि गंगे के तहत प्रदेश के 12 जिलों वाराणसी, मिजार्पुर, प्रयागराज, कौशाम्बी, प्रतापगढ़, कानपुर, हरदोई, बहराइच, बुलंदशहर, अमरोहा और बिजनौर में नदियों में मछलियों के बच्चे डालने की योजना है। मंदाकिनी नदी को भी इस योजना में शामिल कराया जा सकता है। इस योजना में सम्मलित हो जाने से मंदाकिनी नदी के खरपतवारों को मछलियां नष्ट करती रहेंगी। इसके अलावा मछलियों का शिकार भी मंदाकिनी नदी में पूणर् प्रतिबंधित किए जाने की जरूरत है। बुन्देली सेना ने जिलाधिकारी शुभ्रांत कुमार शुक्ल से मांग की है कि कमसे कम एक लाख मछली के बच्चे मंदाकिनी नदी में रामघाट से लेकर बंधवईन तक छोड़ें जाएं। इसके लिए मुख्यमंत्री पोटर्ल में भी मांग की गई थी। जिस पर विभाग ने बजट का हवाला दिया था। नमामि गंगे योजना के तहत आसानी से मछली के बच्चे नदी में डलवाए जा सकते हैं। ठंडी को छोड़कर किसी भी महीने में ग्रासकापर् मछली नदी में डलवाई जा सकती है। जानकारों की राय है कि यदि एक लाख ग्रासकापर् मछली मंदाकिनी नदी में डाल दी जाएं तो काफी हद तक प्रदूषण से राहत मिल जाएगी।
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