मनरेगा योजना में मजदूरों के भ्रष्टाचार को छुपाने का नया खेल उजागर
०आर0टी0आई0 से मांगी गई सूचना में सचिव का कथन :: मैंने नहीं दी है कोई सूचना ,मेरे हस्ताक्षर फर्जी हैं
कालपी (जालौन)जैसा कि यह सर्वविदित हो चुका है कि वर्तमान में जो मनरेगा योजना है,उसमें करोड़पति बन चुके ग्राम प्रधानों , ग्राम पंचायत सचिवों तथा पंचायत मित्रों के ऊपर इनकम टैक्स की रडार कब पड़ने वाली है यह तो आने वाला समय ही बताएगा ।लेकिन हम आपको रूबरू करा रहे हैं मनरेगा योजना में भ्रष्टाचार के एक नए खेल से जो हम आपको प्रमाण सहित उजागर कर रहे हैं ।मामला कालपी तहसील के महेबा ब्लाक की ग्राम पंचायत सरसई का है। इस संम्बंन्ध में हम आपको बता दें कि हमारे एक रिपोर्टर ने ग्राम पंचायत सरसई में मनरेगा योजना में काम करने वाली महिला मजदूरों की जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के अन्तर्गत सूचना मांगी थी कि किन-किन महिला मजदूरों ने मनरेगा योजना में काम किया है, किन-किन महिला मजदूरों ने मनरेगा योजना में काम करने के लिए आवेदन पत्र दिए हैं, किन-किन महिला मजदूरों ने कुल कितने दिन मजदूरी की है और उनको कितने रुपए की कुल मजदूरी का भुगतान किया गया है आदि ।निर्धारित समय अवधि में सूचना न मिलने पर उन्होंने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 18 के तहत माननीय राज्य सूचना आयोग लखनऊ में शिकायत की ।अब यहां से शुरू होता है भ्रष्टाचार को छुपाने का नया खेल क्योंकि मांगी गई सूचना से मनरेगा योजना में महिला मजदूरों के लिए जो भुगतान दिखाया गया है उसका बहुत बड़ा भ्रष्टाचार उजागर होना था । जैसे कि हम अपने पिछ्ले अंकों में यह उजागर कर चुके हैं कि वर्तमान में मनरेगा योजना ग्राम प्रधान ,ग्राम पंचायत सचिव एवं रोजगार सेवकों के लिए कमाई का एक बहुत बड़ा जरिया बन चुका है। जिनके पास चलने के लिए साइकिल नहीं थी । लेकिन मनरेगा योजना लागू होने के बाद आज वह लग्जरी फोर व्हीलर गाड़ियों से चल रहे हैं ।इस भ्रष्टाचार में यदि वास्तव में देखा जाए तो महिला मजदूरों से यदि यह पूंछ लिया जाए कि आपने किस-किस साइड पर काम किया है और कहां-कहां पर काम किया है , कितने दिन काम किया है। तो शायद एक भी महिला मजदूर इसका जवाब सही ढंग से नहीं दे पाएंगीं । कई महिला मजदूर तो ऐसीं हैं कि जो बहुऐं अपने स्वयं के घर के खेत तक नहीं जानती हैं और जिनके घर में दो-दो शस्त्र लाइसेंन्स हैं , दो- दो चार पहिया वाहन हैं लेकिन फिर भी अमीर घरों की उन पर्दा चलने वाली बहुओं को मनरेगा योजना में मजदूरी में लगा हुआ दिखाया जाता है । कई महिला मजदूरैं ऐसीं मिल जाएंगीं आपको मनरेगा योजना में काम करतीं हुईं जो कि ठीक से चल भी नहीं पातीं हैं ,लाठी डंडे के सहारे चल पातीं हैं ।लेकिन फिर भी वह मनरेगा योजना में काम कर रहीं हैं ।इसी भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए ग्राम पंचायत सरसई के कार्यालय से दिनांक 21/11/2024 को एक पत्र जारी किया गया है जिसमें ग्राम पंचायत सरसई के सचिव के हस्ताक्षर हैं ।यह पत्र 21/11/2024 की तारीख में जारी किया गया है ।वर्तमान में ग्राम पंचायत सरसई में विजया रत्नम नाम की एक महिला सचिव कार्यरत हैं।उनकी नियुक्ति 21/11/2024 के पूर्व ग्राम पंचायत सरसई में हो चुकी थी ।लेकिन जब इनसे फोन पर जानकारी लेनी चाही कि महोदया जी आपने यह रजिस्टर्ड डाक से पत्र भेजा है ,तो उन्होंने साफ मना कर दिया कि इस पत्र पर मेरे हस्ताक्षर फर्जी हैं । मैंने आपको कोई रजिस्ट्री नहीं की है ।यह पत्र मैंने नहीं भेजा है ।अब यहां सोचने वाली बात यह है कि आर0टी0आई0 जैसे महत्वपूर्ण कागज जो कि रजिस्टर्ड डाक से हमारे तहसील रिपोर्टर के घर भेजा गया है ,यह कागज कैसे पहुंचा ।और इसमें जो बिंन्दु दिखाए गए हैं ,जिनका गोलमोल जवाब दिया गया है वह बिल्कुल सेम वही बिंन्दु हैं जिनका जवाब आर0टी0आई0 से मांगा गया था ।अब यहां गौर करने वाली बात यह है कि जब ग्राम पंचायत सचिव के हस्ताक्षर द्वारा जारी रजिस्टर्ड डाक से पत्र प्राप्त हुआ है जिसके लिफाफे में बाकायदा रजिस्ट्री का बारकोड भी लगा हुआ है ।लेकिन फिर भी ग्राम पंचायत सरसई में तैनात सचिव यह कह रहीं हैं कि यह पत्र मेरे द्वारा नहीं भेजा गया है और इस पत्र पर मेरे हस्ताक्षर फर्जी हैं । क्या अब मनरेगा योजना में आर0टी0आई0 में भी दलालों की भ्रष्टाचारी चलने लगी है ,इसकी परत हम आपको कुछ दिनों बाद अगले अंक में खोलेंगे ।