शासन की टीम ने लिया सड़क निर्माण की गुणवत्ता का जायजा
चित्रकूट। ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार के सचिव एन एन सिन्हा व अपर सचिव डा0 आशीष कुमार गोयल, अपर मुख्य सचिव ग्राम्य विकास उत्तर प्रदेश शासन मनोज कुमार सिंह, मुख्य कार्यपालक अधिकारी यूपी एलटी भानु चंद्र गोस्वामी ने रविवार को जनपद में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अन्तर्गत नयी तकनीक एफ डी आर (फूल डेफ्थ रेकलमेशन ) के तहत निर्मित हो रही सड़क टी-06 अरछा बरेठी कमासिन रोड का स्थलीय निरीक्षण किया। ग्रामीण मंत्रालय भारत सरकार के सचिव एनएन सिन्हा ने बताया कि यह सड़क भारत सरकार द्वारा जनपद में पहली बार नई तकनीकी से बनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा पी एम जी एस वाई के फेज-3 के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण, ग्राम्य विकास विभाग, उत्तर प्रदेश को 19000.00 किमी का लक्ष्य दिया गया था,जिसे वर्ष 2024 तक पूर्ण किया जाना है। इस लक्ष्य के सापेक्ष उ प्र ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण ग्राम्य विकास विभाग को वर्ष 2021-22 में ही लक्ष्य के सापेक्ष 18770.00 किमी0 की स्वीकृत ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा दे गयी है। स्वीकृति के उपरान्त 3000 किमी0 का कार्य पूर्ण किया जा चुका है तथा 3000 किमी0 कार्य प्रगति पर है जो अगले दो माह में पूर्ण हो जायेगा। उत्तर प्रदेश में नयी तकनीक के माध्यम से रू0 6000.00 करोड़ की लागत से 697 मार्ग, 5500 किमी0 सड़क का निर्माण होना है।
प्रदेश सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पहली बार नयी तकनीक एफ डी आर पर आधारित 5600.00 किमी0 का निर्माण कराया जा रहा है। इस तकनीक से किफायती सड़कों का निर्माण होगा। ये सड़के मजबूत होने के साथ ही पर्यावरण के अनुकूल रहेंगी। इस तकनीक के निर्माण में नये पत्थर की गिट्टी का प्रयोग नहीं किया जाता है। सड़क पर मौजूद पुरानी गिट्टी को सीमेंट एवं एडिटिव तथा मिट्टी से बड़़ी मशीनों के द्वारा मिलाकर निर्माण किया जाता है। प्रदेश पी एम जी एस वाई में नयी तकनीक से सड़के बनाये जाने की स्थिति को देखते हुए अन्य प्रदेशों में भी इस तकनीक को लागू किया जा रहा है।
प्रदेश द्वारा नयी तकनीक से मार्ग निर्माण की स्वीकृति के पूर्व इस तकनीक का अनुभव प्राप्त करने के लिए अभिकरण कार्यालय,लोक निर्माण विभाग तथा ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के अधिकारियों के दल को विजयवाड़ा, आन्ध्र प्रदेश भेजकर इस तकनीक का अध्ययन कराया गया तथा नयी तकनीक से स्वीकृत मार्गों में से 09 मार्ग पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में निर्माण कराये जाने का निर्णय लिया गया।
पायलेट प्रोजेक्ट में जनपद प्रयागराज के दो मार्ग, चित्रकूट जनपद का एक मार्ग, हमीरपुर के दो मार्ग, झॉसी का एक मार्ग, आगरा, हाथरस एवं मैनपुरी जनपदों के एक-एक मार्ग सम्मिलित हैं। इन मार्गो पर निर्माण कार्य प्रारम्भ है जिनकी गुणवत्ता एवं प्रगति अत्यधिक उत्साहजनक है। इस तकनीक से मार्गों के निर्माण में बहुत कम समय लगता है। यहां तक की व्यस्थानुसार दो दिन में एक किमी सड़क का निर्माण किया जा सकता है।
चित्रकूट में निर्माणाधीन मार्ग का पूर्व में पारम्परिक तकनीक से निर्माण किया जाना था। इस मार्ग की लम्बाई 17.9 किमी तथा चौड़ाई तीन मीटर थी जिसको बढ़ाकर 5.5 मीटर में चौड़ीकरण एवं उच्चीकरण किया जाना था। जिसमें लगभग 56000 घन मीटर पत्थर की गिट्टी का उपयोग होता लेकिन इस एफ डी आर तकनीक से निर्माण कराने पर 50000 घन मीटर की गिट्टी की बचत होगी जो स्वयं में एक उपलब्धि है तथा पर्यावरण प्रदूषण एवं कार्बन फुड प्रिंट को कम करने में भी सहायक है।
प्रदेश में एफ डी आर तकनीक से पहली रोड जनपद चित्रकूट में 17 करोड़ की लागत से 17.900 किमी की सड़क का निर्माण हो रहा है। ये सड़क 02 मुख्य मार्गो को जोड़ने के साथ ही 22 मजरों एवं 08 ग्राम पंचायतों को जोड़ रही है तथा इससे 30000 आबादी को लाभान्वित होगी।
नयी तकनीक पर आधारित मार्गाें के निर्माण की गुणवत्ता सुनिश्चित किये जाने के लिए एक पीएमयू का गठन किया गया है। जिसमें जापान का भी तकनीकी सहयोग लिया गया है। इस तकनीक से निर्मित सड़कों के लिए विशिष्ट मशीनों का उपयोग किया जा रहा है जिसमें रिसाइकिलर, आटोमेटिक सीमेंट स्प्रेडर, 20 टन पैट फुट रोलर, टैण्डम रोलर, मोटर ग्रेडर एवं पीटीआर रोलर महत्वपूर्ण हैं। मार्गो के निर्माण में गुणवत्ता की साइट पर ही जांच किये जाने के मकसद से सुसज्जित लैब स्थापित हैं।
इस मौके पर मुख्य विकास अधिकारी अमित आसेरी, मुख्य अभियंता ग्रामीण अभियंत्रण सेवा वीरपाल राजपूत, अधीक्षण अभियंता हरेंद्र सिंह, उपजिलाधिकारी राजापुर प्रमोद कुमार झा, जिला विकास अधिकारी आर के त्रिपाठी, परियोजना निदेशक ऋषि मुनि उपाध्याय, डीसी मनरेगा धर्मजीत सिंह, अधिशासी अभियंता लोनिवि अरविंद कुमार सहित कई जनपदों के अधिशाषी अभियंता, सहायक अभियंता एवं अवर अभियंता मौजूद रहे।
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