समस्याओं को जानने एवं समाधान की दिशा के लिए सम्मेलन कारगर पहल- फग्गन सिंह
– दीन दयाल शोध संस्थान में चल रहे तीन दिवसीय अंतरार्ष्ट्रीय सम्मेलन का हुआ समापन
चित्रकूट ब्यूरो: दीनदयाल शोध संस्थान में चल रहे तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का समापन रविवार को समसामयिक अनुशंसाओं के साथ हुआ। हाइब्रिड मोड में आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में प्राप्त सुझावों को संकलित कर यूनाइटेड नेशन एजेंसियों, केंद्र सरकार, राज्य सरकारों एवं सतत विकास लक्ष्यों के व्यावहारिक कायर् में लगी संस्थाओं और शोध संस्थाओं को क्रियान्वयन के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।
समापन अवसर पर भारत सरकार के इस्पात एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि भारत रत्न राष्ट्र ऋषि नानाजी देशमुख ने 90 के दशक में चित्रकूट आकर गांव में रहने वाली आबादी के समग्र विकास को लेकर जो चिंतन और आयोजन सुनिश्चित किया था, लगभग उसी के अनुरूप संयुक्त राष्ट्र संघ के घोषित सतत विकास के लक्ष्यों को पाने के लिए चित्रकूट में तीन दिनों तक अंतरराष्ट्रीय विमशर् का आयोजन सराहनीय और अतुल्य प्रयास है। उन्होंने कहा नानाजी की संकल्पना के आधार पर दीनदयाल शोध संस्थान इस विशेष कायर्क्रम के माध्यम से समस्याओं को जानने और समाधान को पाने के लिए अभिनव प्रयोग कर रहा है। उन्होंने केंद्र सरकार की एक जिला एक उत्पाद, मेक इन इंडिया, महिला सशक्तिकरण, आयुष्मान भारत, स्वयं सहायता समूह, जनधन योजना, मनरेगा, बैंकिंग, आईटी एजुकेशन, रूलर डेवलपमेंट, एग्रीकल्चर आदि योजनाओं के लाभों को बताते हुए सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप बताया। पूवर् पीएस दीपक खांडेकर ने सम्मेलन के कायर्शैली की प्रशंसा करते हुए कहा कि मुझे ऐसा आयोजन पहली बार देखने को मिला
है, जब समस्या अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों द्वारा खड़ी की जाती है और समाधान गांव वाले देते हैं। यह प्रयोग दीनदयाल शोध संस्थान ने करके अनूठी पहल की है। डीआरआई के उपाध्यक्ष उत्तम बनजीर् ने कहा कि फील्ड में काम करने वाले श्रमिकों और किसानों के अपने अनुभव को अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में रखकर विमशर् में भागीदारी बनाने की परिकल्पना से सतत विकास का स्थायी मागर् सुनिश्चित हो सकेगा। चित्रकूट सांसद आर के सिंह पटेल ने अपने उद्बोधन में सतत विकास के लक्ष्यों और नानाजी की भावनाओं और संकल्पनाओं में समानता का जिक्र करते हुए चित्रकूट के 50 किलोमीटर की परिधि में होने वाले विकास कायोंर् का वणर्न किया। सतना जिलाधिकारी अनुराग वमार् ने कहा कि तीन दिनों के इस विचार विमशर् के दौरान सतत विकास के लक्ष्यों को पाने में आने वाली कठिनाइयों के समाधान का सरल मागर् खोजा गया है। सद्गुरु सेवा संघ ट्रस्ट जानकीकुंड के ट्रस्टी एवं निदेशक डॉ वीके जैन ने चित्रकूट के महत्व को बताते हुए कहा कि नानाजी ने जिन लक्ष्यों को लेकर चित्रकूट विकास का अनूठा मॉडल खड़ा किया है, उसे उसी रूप में दीनदयाल शोध संस्थान की कायर्कतार् टीम पूरी निष्ठा के साथ क्रियान्वित कर रही है। आईसीएआर के उप महानिदेशक डॉ आरसी अग्रवाल ने सतत विकास के लक्ष्यों को पाने में गांव और कृषि के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, ग्रामीण विकास, पंचायती राज के क्षेत्र में इनोवेशन को महत्व देना चाहिए। मध्य प्रदेश निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग के चेयरमैन डॉ भरत शरण सिंह ने देश के मानव संसाधन को एसेट्स के रूप में कन्वटर् करने की सिफारिश करते हुए ज्ञान परंपरा को मजबूती देने की बात कही। सम्मेलन के संयोजक वसंत पंडित ने कायर्क्रम की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सतत विकास लक्ष्यों में एकात्म मानव दशर्न का बोध होता है। दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि नानाजी की प्रेरणा से उन्हीं की भावनाओं के अनुरूप जनता की पहल और पुरुषाथर् के अनुपम उदाहरण के तौर पर इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया है। उन्होंने दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा संचालित गतिविधियों पर भी प्रकाश डाला।
इस अवसर पर महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो भरत मिश्र, एनएचएआई के सीजीएम विष्णु दरबारी, जिलाधिकारी चित्रकूट शुभ्रांत शुक्ला, पुलिस अधीक्षक सतना धमर्वीर सिंह, निखिल मुंडले आदि मौजूद रहे।
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