सुदामा चरित्र की कथा सुनकर भक्त हुये भाव विभोर।

रामपुरा जालौन:- नगर के खाई मोहल्ला मेंमें चल रही सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा के अंतिम दिन कथा बाचक अंकुश महाराज ने बताया कि भागवत कथा पुराण यज्ञ के अंतिम दिन सुदाम चरित्र की कथा का वर्णन किया गया। इसमें भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की दोस्ती ने दुनिया को यह संदेश दिया कि राजा हो या रंक दोस्ती में सब बराबर होते हैं।नगर में चल रही श्रीमद भागवत कथा के सातवें दिन कथा बाचक अंकुश महाराज ने कहा कि कृष्ण और सुदामा जैसी मित्रता आज के युग में कहीं नहीं है। एक बार की बात श्रीकृष्ण और सुदामा संदीपन के आश्रम में शिक्षा को ग्रहण कर रहे थे। उसी समय माता ने दोनों मित्रों से खाना बनाने के लिए जंगल से कुछ लकड़ी लाने को कहा दोनों मित्र जंगल से लकड़ी लेने जा रहे थे। तभी जंगल में अचानक बरसात होने लगी। भूख लगने पर माता ने सुदामा के लिए कुछ चने दिये थे और कहा जब भी भूख लगे तभी दोनों लोग एक साथ चाब लेना लेकिन माता के दिये हुए चनों को सुदामा जी अकेले ही चाब गये। घट घट की जानने वाले भगवान श्रीकृष्ण भला क्या नहीं जानते हैं। उन्होंने उसी समय कन्हैया को गरीब होने का श्राप दे दिया। गरीबी को देखकर सुदामा की पत्नी सुशीला ने श्रीकृष्ण के पास सुदामा को भेजा। उसी दौरान द्वारपाल के मुख से पूछत दीनदयाल के धाम, बतावत आपन नाम सुदामा सुनते ही द्वारिकाधीश नंगे पांव मित्र की अगवानी करने राजमहल के द्वार पर पहुंच गए।भागवत कथा में पारीक्षित पप्पू दीक्षित व उनकी पत्नी असरफी देवी,अजीत जादौन,सुन्नी सिंह सेंगर,बॉबी राजावत,आलोक राजावत,राजेश सिंह (वकील),श्याम सिंह राजावत, विनीत सिंह राजावत,भगवान सिंह सेंगर, अमर सिंह परिहार,लाल जी दीक्षित,मंजू सेंगर,भूपेंद्र सिंह,संतोष सिंह फौजी,अजान सिंह मास्टर,शिवम राजावत आदि मौजूद रहे।

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