Homeबुन्देलखण्ड दस्तकहर्षोल्लास और धूमधाम के साथ मनाई गई भगवान परशुराम की जयन्ती

हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ मनाई गई भगवान परशुराम की जयन्ती

हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ मनाई गई भगवान परशुराम की जयन्ती

ईटो (जालौन) तहसील माधौगढ़ की न्याय पंचायत ईंटों के कस्बा ईंटों में परशुराम चौक पर भगवान विष्णु के अवतार भगवान परशुराम की जयन्ती बड़ी धूमधाम से हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। सबसे पहले भगवान परशुराम की प्रतिमा पर दीपप्रजुल्लित कर पुष्प अर्पित किए। फूल माला पहनाई गई। आरती बंदना स्तुति की गई।राजा प्रसेनजित की पुत्री रेणुका और भृगुवंशीय जमदग्नि के पुत्र थे। वे विष्णु के अवतार और शिव के परम भक्त थे। इन्हें शिव से विशेष परशु प्राप्त हुआ था। इनका नाम तो राम था, किन्तु शंकर द्वारा प्रदत्त अमोघ परशु को सदैव धारण किये रहने के कारण ये परशुराम कहलाते थे।असम राज्य की उत्तरी-पूर्वी सीमा में जहाँ ब्रह्मपुत्र नदी भारत में प्रवेश करती है, वहीं परशुराम कुण्ड है, जहाँ तप करके उन्होंने शिवजी से परशु प्राप्त किया था। वहीं पर उसे विसर्जित भी किया। परशुराम जी भी सात चिरंजीवियों में से एक हैं। इनका पाठ करने से दीर्घायु प्राप्त होती है। परशुराम कुंड नामक तीर्थस्थान में पाँच कुंड बने हुए है। एक बार उनकी माँ जल का कलश लेकर भरने के लिए नदी पर गयीं। वहाँ गंधर्व चित्ररथ अप्सराओं के साथ जलक्रीड़ा कर रहा था। उसे देखने में रेणुका इतनी तन्मय हो गयी कि जल लाने में विलम्ब हो गया।तथा यज्ञ का समय व्यतीत हो गया। उनकी मानसिक स्थिति समझकर जमदग्नि ने अपने पुत्रों को उसका वध करने के लिए कहा। परशुराम के अतिरिक्त कोई भी ऐसा करने के लिए तैयार नहीं हुआ। पिता के कहने से परशुराम ने माँ का वध कर दिया। पिता के प्रसन्न होने पर उन्होंने वरदान स्वरूप उनका जीवित होना माँगा। परशुराम के पिता ने क्रोध के आवेश में बारी-बारी से अपने चारों बेटों को माँ की हत्या करने का आदेश दिया। परशुराम के अतिरिक्त कोई भी तैयार न हुआ। अत: जमदग्नि ने सबको संज्ञाहीन कर दिया। परशुराम ने पिता की आज्ञा मानकर माता का शीश काट डाला। पिता ने प्रसन्न होकर वर माँगने को कहा तो उन्होंने चार वरदान माँगे जिसमें पहला बरदान मांगा हमारी माँ पुनर्जीवित हो जायँ,उन्हें मरने की स्मृति न रहे,
भाई चेतना-युक्त हो जायँ और
मैं परमायु होऊँ। इस प्रकार भगवान परशुराम ने अपने पिता से वर मांगे। और अपनी माता को जीवित कर लिया।भगवान परशुराम के जन्मोत्सव के मौके पर देबेन्द्र चतुर्वेदी पूर्व प्रधान,आन्नद तिवारी पूर्व प्रधान,नरेन्द्र दीक्षित ग्राम प्रधान नवादा,लवकुश त्रिपाठी लम्बरदार,सुरेन्द्र दुबे वरिष्ठ पत्रकार,सन्तोष गोस्वामी,अतुल,श्रीप्रकाश दीक्षित,सुरेन्द्र पाण्डेय,अनसुल दुबे,अरूण कुशवाहा,भोला पाठक,रामजी,बिनय,सीताशरण,जितेन्द्र तिवारी,जयनारायण,बृजेश तिवारी,लकी शर्मा,पवन,नेपाली,मयक,सीतेश,आदित्य,अनूप,अनुराग,दीपू लम्बरदार,मिजाजी लाल,कन्हैया,जान मोहोम्मद,फैजान,भगवती प्रसाद,गोपाल शुक्ला,आदि मौजूद रहे ।

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