Homeबुन्देलखण्ड दस्तकघर-घर सघन दस्त से बचाव का संदेश पहुंचा रहीं आशा कायर्कतार्

घर-घर सघन दस्त से बचाव का संदेश पहुंचा रहीं आशा कायर्कतार्

घर-घर सघन दस्त से बचाव का संदेश पहुंचा रहीं आशा कायर्कता

चित्रकूट ब्यूरो: जनपद में 16 जून तक सघन दस्त नियंत्रण अभियान चलाया जा रहा है। इसकी शुरुआत दो जून को हुई थी। इस अभियान के अंतगर्त आशा कायर्कतार् घर-घर पहुंचकर बच्चों में सघन दस्त से बचाव का संदेश दे रही हैं। इसके साथ ही ओआरएस का घोल बनाने की विधि भी लोगों को समझा रही हैं। साथ ही टीकाकरण से छूटे और टीबी से ग्रसित बच्चों को भी चिन्हित कर रहीं हैं।
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ भूपेश द्विवेदी ने बताया कि सघन दस्त नियंत्रण अभियान बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार (आईसीडीएस), पंचायती राज एवं शिक्षा विभाग के सहयोग से चलाया जा रहा है। अभियान के अंतगर्त आशा कायर्कतार् घर-घर जाकर शून्य से पांच वषर् तक के बच्चों के अभिभावकों को ओआरएस के पैकेट व जिंक की गोली उपलब्ध करा रहीं हैं। इसके साथ ही दस्त से बचाव के तरीके भी बता रही हैं। अभियान के नोडल अधिकारी अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा. राजेश कुमार आजाद ने बताया कि शून्य से पांच साल तक के बच्चों वाले प्रत्येक परिवार को एक पैकेट ओआरएस जबकि डायरिया से ग्रसित बच्चे के परिवार दो पैकेट ओआरएस दिया जा रहा है। इस वगर् के तकरीबन सवा लाख बच्चों के परिवारों को ओआरएस और जिंक टैबलेट का वितरण किया जाना है। उन्होंने बताया कि डायरिया पीड़ित बच्चे को 14 दिन तक एक-एक जिंक टैबलेट देनी है। दो से छह माह वाले बच्चे को आधी टैबलेट प्रतिदिन (14 दिन तक) देनी है। सात माह से पांच साल तक बच्चे को एक जिंक टैबलेट प्रतिदिन (14 दिन तक) देनी है। आशा कायर्कतार् घरों में दस्तक के दौरान ओआरएस घोल बनाने की विधि उसकी उपयोगिता और हाथ धोने का तरीका भी बता रही हैं। लोगों को साफ सफाई का महत्व भी समझा रही हैं। आशा कायर्कतार्ओं को अति कुपोषित (सैम) बच्चों को चिन्हित कर उन्हें पोषण पुनवार्स केंद्र (एनआरसी) में रेफर करने के निदेर्श दिए गए हैं। इसके साथ ही शून्य से दो वषर् तक टीकाकारण से छूटे बच्चों और शून्य से पांच वषर् तक के टीबी से ग्रसित बच्चों को चिन्हित कर रही हैं। यदि गंभीर डायरिया से ग्रसित बच्चे मिलते हैं, तो उनको इलाज के लिए पीएचसी और सीएचसी रेफर करने के लिए कहा गया है। जिला कायर्क्रम प्रबन्धक (डीपीएम) आर के करवरिया ने बताया कि जिला अस्पताल के साथ सभी सीएचसी और पीएचसी में ओआरएस, जिंक कानर्र बनाए गए हैं तथा पांच मोबाइल टीम भी गठित की गई हैं। जिला अस्पताल में तैनात बाल रोग विशेषज्ञ डॉ ए के सिंह ने बताया कि पांच वषर् से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु का प्रमुख कारण डायरिया ही हैद्य डायरिया से होने वाली मौतों को ओआरएस घोल व जिंक की गोलियां और सही पोषण देकर कम किया जा सकता है। डायरिया की रोकथाम में स्वच्छ पेयजल, छह माह तक सिफर् स्तनपान, खाना खाने से पहले और शौच के बाद हाथ धोने की सावधानी मददगार है। दस्त शुरू होते ही ओआरएस का घोल पिलाएं और दस्त रुकने तक ओआरएस घोल पिलाते रहें। ओआरएस पानी की कमी को पूरा करता है, जबकि जिंक शक्ति बढ़ाता है।

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