छीबों एवं पियरियामाफी के ग्रामीणों ने पत्र लिखकर रखी तहसील प्रशासन से मांग

तहसील रत्न से सम्मानित होने चाहिए लेखपाल छीबों

चित्रकूट – सरकारी नौकरी में तैनाती तबादला और उसके बाद सेवानिवृत्ति यह नौकरी की सतत प्रक्रिया है जो पहले से ही निर्धारित होती है ।
यह एक सच्चाई है जो हर कर्मचारियों के साथ जुड़ी हुई है लेकिन  नौकरी के दौरान क्षेत्रीय लोगों के साथ अपने निर्विवाद कार्यों के द्वारा अभिभूत कर देने की कार्यशैली सबके साथ जुड़ी हुई नहीं रहती है। यह तो किसी व्यक्ति विशेष पर ही सम्भव हो सकती है।
शायद यही वजह है कि ऐसे निर्विवाद शख्सियत के सेवानिवृत्त होने की खबर पर दोनों गाँव के नागरिकों ने ईमानदारी और निष्ठा से अभिभूत हो तहसील प्रशासन को पत्र लिखकर सेवानिवृत्त होने से पूर्व ही सम्मानित किए जाने की माँग की है ।

कौन है ऐसी शख्सियत जिसके लिए ग्रामीणों को लिखना पड़ा पत्र

आज हम चर्चा उस बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी लेखपाल छीबों के पद पर तैनात नारायण प्रसाद ओझा जी के बारे में कर रहे हैं । चित्रकूट के भौंरी के पास स्थित मुड़उन्हां गाँव के रहने वाले नारायण प्रसाद ओझा राजस्व विभाग में सबसे मजबूत और महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में लेखपाल के पद पर चित्रकूट के राजापुर तहसील में कार्यरत रहे और सदर लेखपाल छीबों में काम करते हुए तीन वर्षों में अपने तैनाती गाँव छीबों एवं पियरियामाफी क्षेत्र में अपने अनूठे कार्यशैली से निर्विवाद कार्य करते हुए अपने सर्विस काल के महत्वपूर्ण समय को पूरा करने में सफल रहे हैं जो एक मिसाल बन गई है । राजस्व जैसे विभाग में रहते हुए निर्विवाद रहना  असम्भव तो नहीं हैं लेकिन छीबों जैसे गाँव में निर्विवाद रूप से समय पूर्ण करना इतना आसान नहीं मुश्किल भरा है । इसके बावजूद यह शख्सियत निर्विवाद रूप से अपने अनूठे व्यक्तित्व के दम पर जिस तरह से अंजाम देते हुए अपने नौकरी के कार्यकाल को निर्विध्न रुप से पूरा करते हुए सेवानिवृत्त होने की दहलीज पर पहुंच गए हैं ऐसे में उनकी कार्यकुशलता जरूर उभरकर चर्चा में आई है। उनकी कार्यशैली को याद करते हुए उनके क्षेत्र छीबों एवं पियरियामाफी के लोगों ने प्रधानों के माध्यम से तहसील प्रशासन को पत्र लिखकर माँग की है कि ऐसे प्रतिभा के धनी शख्सियत को राजापुर तहसील का तहसील रत्न घोषित कर उन्हें सम्मानित किया जाना चाहिए ताकि दूसरे कर्मचारियों को भी एक सीख मिल सके । विदित हो कि आगामी 31 अगस्त 2021 को यह शख्सियत सेवानिवृत्त हो रही हैं । उधर ग्रामीणों को यह चिंता भी हो रही है कि इनके सेवानिवृत्त होने के बाद ऐसे कर्मयोगी लेखपाल दुबारा तो कदापि नहीं मिल सकते हैं ऐसे में इनके द्वारा किए गए कार्यों के सापेक्ष इन्हें सम्मानित किया जाना आवश्यक है और यही सच्ची विदाई समारोह की श्रद्धा होगी । ग्रामीणों को यह भी मलाल है कि उनके क्षेत्र में नारायण प्रसाद ओझा जी जैसे ही किसी दूसरे लेखपाल की तैनाती होनी चाहिए ताकि राजस्व के मामले में ग्रामीणों को अपनों से आपसी तालमेल में किसी तरह का कोई विवाद न उत्पन्न हो । ऐसे निष्पक्ष लेखपाल के लिए एक आयोजन किया जाना चाहिए और भव्य समारोह में उन्हें तहसील प्रशासन उन्हें  सम्मानित कर विदाई देने की कवायद शुरू करने का उपक्रम सुनिश्चित करे जो दूसरे कर्मचारियों के लिए भी मील का पत्थर साबित हो देखना होगा कि तहसील प्रशासन अपने कर्मचारी के सम्मान में क्या रुख अख्तियार करता है ।