Homeबुन्देलखण्ड दस्तकपानी की बबार्दी पर कायार्लयाध्यक्षों पर अथर्दण्ड आरोपित करने का निणर्य।

पानी की बबार्दी पर कायार्लयाध्यक्षों पर अथर्दण्ड आरोपित करने का निणर्य।

पानी की बबार्दी पर कायार्लयाध्यक्षों पर अथर्दण्ड आरोपित करने का निणर्य।

जल संरक्षण को लेकर मण्डलायुक्त गंभीर,
तय होगी जवाबदेही।

योगेन्द्र नारायण त्रिपाठी(ब्यूरो जालौन)

उरई (जालौन) मण्डलायुक्त डाॅ0 अजय शंकर पाण्डेय का मानना है कि बुन्देलखण्ड में पेयजल की अत्यधिक कमी को देखते हुये जल के सदुपयोग को एक कायर्संस्कृति, बुन्देली संस्कृति का हिस्सा बना करके हमें दिन प्रतिदिन इस बात के लिये सतकर् रहना होगा कि जल की एक बूंद भी व्यथर् न होने पावे। सामान्यतः राजकीय कायार्लयों में यह देखा जाता है कि कायार्लय के ऊपर रखी पानी की टंकियों से पानी ओवरफ्लो होकर बहता रहता है, जो किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है। मण्डलायुक्त डाॅ0 अजय शंकर पाण्डेय द्वारा पानी की बबार्दी को रोकने हेतु निम्न निदेर्श दिये गये हैं:-
1- प्रत्येक कायार्लय के प्रमुख प्रतिदिन यह सुनिश्चित करेंगे कि कायार्लय में लगी पानी की टंकियां ओवरफ्लो तो नहीं हो रही हैं ?
2- इसीप्रकार प्रत्येक कायार्लय में पीने के पानी की, प्रशाधन आदि के लिये जो टैब (नल) लगाये गये हैं, उनकी टोंटियां व्यवस्थित हैं या नहीं ? प्रायः यह देखा जाता है कि टोंटियां न होने के कारण या छोटी-मोटी खराबी होने के कारण बहुत सा पानी बबार्द होता रहता है। इन कायोर् को सुनिश्चित करने के लिये कायार्लय भवन के केयरटेकर को कड़ी हिदायत दी जाय।
3- जनपद के जिलाधिकारी अपने स्तर से सभी कायार्लयों को उपरोक्तानुसार पानी की टंकियों और नल आदि को दुरूस्त कराने के निदेर्श अपने स्तर से जारी करायें।
4- इन सभी कायार्लयों से पाक्षिक प्रमाण-पत्र भी प्राप्त किया जाय।
5- जिले स्तर पर एक सचल दल गठित कर समय-समय पर कायार्लयों का निरीक्षण भी कराया जाता रहे और यदि किसी प्रकार पानी के दुरूपयोग या शिथिलता प्राप्त हो तो कायार्लयाध्यक्षों पर अथर्दण्ड आरोपित किया जाय और दोष निधार्रित करते हुये कायर्वाही भी सुनिश्चित की जाय। मण्डलायुक्त ने सबसे पहले आयुक्त कायार्लय से ही इसकी शुरूआत की है। उन्होंने स्वयं अपने कमिश्नरी परिसर का निरीक्षण कर नल की टोंटियों के ओवरफ्लो और सभी लगे हुये नलों का निरीक्षण किया और एक जगह पर कमी पाये जाने पर तत्काल उसे ठीक करने के निदेर्श दिये। इस सम्बन्ध में कायार्लय के प्रशासनिक अधिकारी को प्रतिदिन उपरोक्त कायर् के निरीक्षण करने के निदेर्श दिये गये हैं।
6- मण्डल स्तर पर अपर आयुक्त (प्रशासन) को निदेर्शित किया जाता है कि मण्डलीय कायार्लयों में भी इसी प्रकार का निदेर्श निगर्त करें और एक टीम बनाकर समय-समय पर कायार्लयों का निरीक्षण भी कराते रहें। यह  टीम जनपदीय कायार्लयों का भी निरीक्षण कर सकेगी।
7- इसीप्रकार सावर्जनिक स्थानों पर पेयजल की आपूतिर् के सम्बन्ध में जो व्यवस्था है वहां भी तद्समय विभाग इसी प्रकार की कायर्वाही सुनिश्चित करेंगे।
8- सम्बन्धित विभागीय अधिकारी एवं प्रशासनिक अधिकारी अपने भ्रमण/निरीक्षण के दौरान एवं अपनी सामान्य दिनचयार् के दौरान इस बिन्दु पर सतत् दृष्टि रखेंगे यदि कोई भी कमी प्रकाश में आती है तो इसे दुरूस्त कराते हुये मुझे भी संज्ञानित करायेंगे।
9- राष्ट्रीय स्तर पर किये गये अध्ययन के अनुसार पानी की बबार्दी का एक बहुत बड़ा कारण पानी की टंकियों का ओवरफ्लो होना, नलों का खराब होना इत्यादि है। यदि छोटी-मोटी इन कमियों को दूर कर दिया जाय तो काफी हद तक पानी की बचत हो सकती है।
10- मण्डलायुक्त डाॅ0 अजय शंकर पाण्डेय ने महाप्रबन्धक, जल संस्थान झाॅसी को यह निदेर्शित किया है कि वह ओवरफ्लो को रोकने के लिये उक्त व्यवस्था को लागू करने के सम्बन्ध में अपने सुझाव एवं एडवाईजरी तैयार कर कायार्लयों को पे्रषित करें।
11- ज्ञातव्य है कि मण्डलायुक्त डाॅ0 अजय शंकर पाण्डेय जब जनपद गाजियाबाद में जिला मजिस्टेªट के पद पर कायर्रत थे, तब उस समय उनके कायार्लय में पानी की टंकी से ओवरफ्लो हो रहा था, जिसे देखते हुये उन्होंने अपने ऊपर भी 1,000/- रू0 का अथर्दण्ड लगाया था, इसके अतिरिक्त उस परिसर में अवस्थित अन्य 30 अधिकारियों पर भी अथर्दण्ड लगाया गया था।
मण्डलायुक्त डाॅ0 अजय शंकर पाण्डेय जल संचय को लेकर बेहद गंभीर हैं। उन्होंने जनसामान्य से अपील की है कि पानी की बबार्दी को रोकने के लिये अलामर् सिस्टम/आॅटोकट व फ्लोटवाॅल लगाया जाय, ताकि अनावश्यक पानी की बबार्दी को रोका जा सके।

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