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प्रायश्चित न करने पर पाप की श्रेणी में आ जाती है गलती- नवलेश दीक्षित

प्रायश्चित न करने पर पाप की श्रेणी में आ जाती है गलती- नवलेश दीक्षित

– सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का दूसरा दिन

चित्रकूट ब्यूरो: सदर तहसील अंतगर्त ग्राम पंचायत बिहारा में मिश्रा परिवार द्वारा आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन मंगलवार को कथा व्यास भागवत रत्न आचायर् नवलेश दीक्षित ने कहा कि मनुष्य से गलती हो जाना बड़ी बात नहीं, लेकिन ऐसा होने पर समय रहते सुधार और प्रायश्चित जरूरी है अगर ऐसा नहीं हुआ तो गलती पाप की श्रेणी में आ जाती है।
कथा व्यास ने पांडवों के जीवन में होने वाली श्रीकृष्ण की कृपा को बड़े ही सुंदर ढंग से दशार्या। कहा कि परीक्षित कलियुग के प्रभाव के कारण ऋषि से श्रापित हो जाते हैं। उसी के पश्चाताप में वह भक्त शुकदेव के पास जाते हैं। भक्ति एक ऐसा उत्तम निवेश है, जो जीवन में परेशानियों का उत्तम समाधान देती है। साथ ही जीवन के बाद मोक्ष भी सुनिश्चित करती है। कहा कि द्वापर युग में धमर्राज युधिष्ठिर ने सूयर्देव की उपासना कर अक्षयपात्र की प्राप्ति किया। हमारे पूवर्जों ने सदैव पृथ्वी का पूजन व रक्षण किया। इसके बदले प्रकृति ने मानव का रक्षण किया। भागवत के श्रोता के अंदर जिज्ञासा और श्रद्धा होनी चाहिए। परमात्मा दिखाई नहीं देता है, बल्कि वह हर किसी में बसता है। श्रीमद्भागवत कथा सुनकर श्रोता मन मुग्ध रह गए। स्वगीर्य शांति देवी मिश्रा की स्मृति पर कथा का आयोजन हो रहा है। इस अवसर पर कथा के आयोजक राम स्वयंवर मिश्रा, रमाकांत मिश्रा, सुंदरलाल, बाबूलाल, श्यामलाल दुबेदी, भोले राम शुक्ला, पवन, रामजी पयासी, मुन्ना त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।

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