संतोष ही जीवन की सबसे बड़ी साधना

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संतोष ही जीवन की सबसे बड़ी साधना


नोनेर( मैनपुरी) ग्राम नोनेर में चल रही श्री मद्भागवत कथा के अंतिम दिवश में वृंदावन से पधारी कथा वाचिका साध्वी ऋचा ने सुदामा चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सन्तोष ही ब्यक्ति की जीवन की सबसे बड़ी साधना है जगत में सांसारिक जीव का मित्र अगर किसी थाने का दरोगा भी हो जाये तो वो मुहल्ले भर को जीने नही देता लेकिन मेरे सुदामा जी का मित्र तो इस सारे जगत का दरोगा है कभी कुछ कह नही क्योंकि सुदामा जी के अंदर भगवान के अंदर अनुराग बहुत था उस भक्ति के दम पर ही सुदामा जी को परम सुख की अनुभूति होती थी सुदामा जी गरीब भले ही थे लेकिन उनका भरोसा भगवान के ऊपर से कभी उठा नही कभी अपने मित्र के बारे में कुछ कहा नही साथ ही साध्वी ऋचा जी ने कहा है कि मानव को हमेसा चाहिए कि उसके पास जितना धन है उसमें ही संतोष करना चाहिए
इस अबसर पर पारीछत की भूमिका में तेज सिंह भदौरिया ओर समस्त ग्राम वासियो ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया