1992 से हुआ नगर पंचायत रामपुरा का उदय।।
सौरभ कुमार
रामपुरा:- नगर पंचायत रामपुरा आजादी के बाद से 8 बार ग्राम पंचायत के रूप में चलने के बाद 1992 में पहली बार नगर पंचायत के रूप अस्तित्व में आई। तब से लेकर अब तक 6 पंचवर्षी चेयरमैन के नेतृत्व में नगर पंचायत के कार्यों का निर्वाहन किया गया।
सबसे ज्यादा अनुसूचित जाति का वोट बैंक रखने वाली नगर पंचायत रामपुरा में 1992 में सामान्य सीट से पहले नगर पंचायत के चुनाव में उमा देवी को चेयरमैन के रूप में नगर पंचायत की जनता ने स्वीकारा। जिन्होंने अपना 5 वर्ष का कार्यकाल पूर्ण किया। उमा के मध्य कार्यकाल में अविश्वास की आग को हवा दी गई। किन्तु समय रहते उसको संभाल लिया गया। 1997 में नगर पंचायत की सीट सुरक्षित की गई। जिसमें सपा के प्रत्याशी चतुरभुज कोरी ने अपनी जीत दर्ज की। परन्तु मध्य कार्यकाल में वार्ड सभासदों द्वारा जिलाधिकारी के समक्ष अविश्वास प्रस्ताव पेश कर मध्यवर्ती चुनाव करा दिया। जिसमे हरिबाबू भाटिया ने अपनी जीत दर्ज कर नगर पंचायत की कुर्सी संभाली। पुनः 2002 में नगर पंचायत के चुनाव में सुरक्षित सीट रहने पर निर्दलीय प्रत्याशी सोमवती देवी पत्नी अशोक खटिक ने जीत दर्ज की। 2007 में पुनः इस नगर पंचायत को सुरक्षित सीट में रखा गया। जिसे बसपा के प्रत्याशी रामकेश दोहरे की पत्नी ने जीत कर परचम लहराया। 2012 में पुनः सुरक्षित सीट होने पर दुबारा नगर पंचायत की जनता का आशीर्वाद मिलने पर अशोक खटिक चेयरमैन पद का कार्यभार संभाला। नगर पंचायत रामपुरा में 100 वोट रखने वाले खटिक समाज द्वारा दो बार नगर पंचायत पर अपना अध्यक्ष बैठाया। 2017 के चुनाव में नगर पंचायत का आरक्षण सामान्य वर्ग को दिया गया। जिसमें भाजपा द्वारा बनाये गए प्रत्याशी शैलेन्द्र सिंह ने 1637 मत प्राप्त कर नगर पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीता। इस जीत में नगर के मुस्लिम वर्ग का अहिम योगदान रहा। शैलेन्द्र सिंह के व्यक्तित्व व्यवहार से नगर का पूरा मुस्लिम वर्ग एक साथ शैलेन्द्र सिंह के नाम पर भाजपा को वोट कर गया।
वर्तमान में भाजपा द्वारा गायत्री कोरी, सपा द्वारा रामकेश दोहरे व बसपा द्वारा सूरजपाल दोहरे को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा हैं। कांग्रेस से हरिशरण वर्मा को मैदान में उतारा हैं। भाजपा से टिकट न मिल पाने से नाराज हुए प्रत्याशी अशोक खटिक, ब्रह्प्रकाश कोरी, प्रेमवती कोरी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव में हैं। वही सपा से ऐन मौके पर गोल्डी खटिक का टिकट कटने से खफा होकर निर्दलीय चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं।
चेयरमैन पद के चुनाव में राजनैतिक पार्टियों द्वारा जनता के बीच उतारे गये प्रत्याशियों को लेकर नगर में चर्चाओं का बाजार गर्म है। कोई भी अभी जीत की अटकलें नहीं लगा पा रहा हैं। सपा और बसपा में दोहरे समाज से एक ही मुहल्ले से दो प्रत्याशी घोषित करने से दोनों दलों में अंतरकलह उभरकर सामने आ रहा हैं। देखना बाकी रह गया हैं कि कौन जीत का स्वाद चखता हैं।