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विश्व में श्रद्धालुओं की जन आस्था, सतना जिले में बीरसिंहपुर के अदभुत दृश्य: जहां खंडित शिवलिंग की जाती पूजा, यहां औरंगजेब भी बन गया था भोलेनाथ का भक्त

विश्व में श्रद्धालुओं की जन आस्था, सतना जिले में बीरसिंहपुर के अदभुत दृश्य: जहां खंडित शिवलिंग की जाती पूजा, यहां औरंगजेब भी बन गया था भोलेनाथ का भक्त

विश्व में खंडित शिवलिंग के दर्शन अपने आप में जन अलौकिक है l शास्त्रों में खंडित प्रतिमा की पूजा निषेध मानी जाती है l मगर सतना जिले के बिरसिंहपुर में खंडित शिवलिंग की पूरे श्रद्धा के साथ पूजा होती है, बताया जाता है l इसे औरंगजेब के सैनिकों ने खंडित करने का प्रयास किया था l घर में रखी देव प्रतिमा खंडित हो जाती है तो अनहोनी की आशंका मात्र से मन सिहर उठता है l जरा भी देरी किए लोग खंडित मूर्ति को या तो बहते जल में विसर्जित कर देते हैं या फिर किसी पेड़ के नीचे रख देते हैं l लेकिन सतना जिले में एक ऐसा मंदिर है जहां कई सौ साल से खंडित मूर्ती की पूजा होती आ रही है, बीरसिंहपुर में स्थापित अदभुत शिवलिंग के दर्शन के लिए भक्त बड़ी दूर-दूर से आते हैं l

श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र

सतना मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित है बिरसिंहपुर कस्बा l इसी कस्बे में तालाब किनारे गैवीनाथ नाम का शिवमंदिर स्थापित है, जिसमें विराजित बाबा भोले नाथ को गैवीनाथ नाम से जाना जाता है l यहां अभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है l

राजा की मांग पर प्रकट हुए

किवदंती के अनुसार कभी यह देवपुर नगरी हुआ करती थी, जिसके राजा थे वीरसिंह l वीर सिंह महाकाल के अनन्य भक्त थे l वो रोजाना उज्जैन जाकर महाकाल के दर्शन करते थे l जब उनकी उम्र ज्यादा हो गई तो वो उज्जैन जाने में असमर्थ हो गए l उन्होंने महाकाल से विरसिंहपुर में स्थापित होने के लिए कहा तो बाबा राजा से प्रसन्न होकर गैविनाथ के घर शिवलिंग के रूप में प्रकट हो गए और यहां विराजित हो गए l

औरंगजेब ने किया था खंडित करने का प्रयास
कालांतिर में बुतपरस्ती के खिलाफ रहे औरंगजेब की सेना ने शिवलिंग के ऊपर तलवार से वार कर दिया था l आज भी शिवलिंग 3 हिस्सों में विभाजित दिखता है l बताया जाता है कि मूर्ति को तोडने के दौरान औरंगजेब और सैनिक बेहोश हो गए l जब वो होश में आए तो उन्होंने खुद को चित्रकूट में पाया l

उल्टे पांव भागा था औरंगजेब
क्षेत्र में ये भी कहा जाता है कि गैवीनाथ शिवलिंग के ऊपर 5 टंकिया लगी हुई थीं l औरंगजेब ने शिवलिंग को खंडित किया तो, पहली टंकी से दूध, दूसरी टंकी से शहद, तीसरी टंकी से खून, चौथी टंकी से गंगाजल और पांचवी टांकी से मधुमक्खियां निकलीं. मधुमक्खियों ने औरंगजेब पर हमला कर दिया l वह मंदिर से उल्टे पांव भाग खड़ा हुआ l इस घटना के बाद इस लोगों के बीच इस शिवलिंग को लेकर आस्था और बढ़ गई l

चित्रकूट में कराया मंदिर निर्माण
इस घटना के बाद औरंगजेब भोलेनाथ से प्रभावित हुआ और उसने चित्रकूट में एक मंदिर का निर्माण कराया था, जिसे आज बालाजी मंदिर के नाम से जाना जाता है l बताया जाता है कि मंदिर की देख रेख की व्यवस्था के लिए 330 बीघे जमीन मंदिर के नाम कर दी, जो आज भी बालाजी मंदिर की खतौनी में दर्ज है l

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