Homeबुन्देलखण्ड दस्तकइलाज के अभाव में नवजात ने तोड़ा दम,परिजनों ने की सीएमओ से...

इलाज के अभाव में नवजात ने तोड़ा दम,परिजनों ने की सीएमओ से शिकायत,

इलाज के अभाव में नवजात ने तोड़ा दम,परिजनों ने की सीएमओ से शिकायत,

संवाददाता- शिवजी तिवारी

जनपद-जालौन:- उत्तर प्रदेश को स्वस्थ प्रदेश बनाने का सपना दिखाने वालों जमीन की हकीकत भी जान लीजिए जनपद जालौन के अंतर्गत पड़ने वाले ग्राम दहगुहां से एक महिला प्रसव कराने बाबई स्वास्थ केंद्र पहुंची जहां धरती के भगवान होने का दंभ भरने वाली अस्पताल में तैनात एक प्रीती नामक स्टाफ नर्स ने प्रसव से पीड़ित महिला के परिजनों से हालत गंभीर बताते हुए स्वास्थ्य केंद्र बाबई से जिला अस्पताल रिफर करने को कहा जिससे परिजन परेशान हो गए लेकिन कुछ समय बाद वो हुआ जो किसी ने सपने में भी नही सोचा होगा मतलब कि अस्पताल में तैनात स्टाफ नर्स प्रीती ने पांच हजार रूपए देने का फरमान सुना दिया और बता दिया कि फ्री में इलाज करने का सिर्फ दिखावा है जो सरकार करती है और जो सरकार करती है या कहती है वो वादे हवा हवाई होते है फिलहाल परिजनों ने आनन फानन में रुपए का इंतजाम किया और पेश कर दिए स्टाफ नर्स के आगे हरे पीले नोटों की गड्डियां फिर शुरू हुआ असली खेल और दिखा दिया प्रीती नाम की स्टाफ नर्स ने अपने हाथों का कमाल और रोक दी नवजात की सांसे।ये लाश है सिस्टम की,ये लाश है हाकिमों के वादों की तो आओ आओ सारी योजनाएं,मातम मनाओ,आंसू बहाओ,छाती पीटो कि एक और मासूम की सांसे छीन ली गईं।आंखों के झरोखे से संसार को देखने की आस कोख से बाहर आते ही खत्म हो गई,दम घुट गया,सांसे महंगी हो गईं और जब कोख से बाहर आया मां का लाल तो लाश बन चुका था।स्वास्थ्य सेवाओं को अत्याधुनिक बनाने का दावा करने वालों ये मौका है जश्न मनाने का तो मनाओ जश्न कि सरकारी अभिलेखों में एक और लाश का नाम दर्ज करवा दिया गया।ये जनपद जालौन के बाबई स्वास्थ्य केंद्र में तैनात नर्स है महिला होने से ज्यादा सरकारी मद का असर हुआ है तो एक महिला की कोख उजड़ जाने के बाद मुस्कान की दुकान लगा दी।तो क्या हुआ जो सरकारी पगार पर पल रहे लाल की वजह से एक मां का लाल मर गया खैर सरकारी अस्पताल में आने वालों की नेती में पहले ही लिख दिया गया है और किस्मत में जो लिखा है उसे कौन मिटा सकता है फिलहाल मर गया एक और मासूम लेकिन उसे बचाया जा सकता था लेकिन गरीब शब्द ने उसके बच्चे की जान ले ली वरना वो भी किसी बड़े अस्पताल में इलाज करवाता,यूं ही सरकारी बेगारों के पास मत्था नही पीटता ये मौत नही है ये हत्या है,ये कत्ल है फिलहाल नर्स ने फरमान जारी कर दिया कि ले जाओ यहां से यहां इलाज नहीं मिलेगा खैर न कोई जांच,न कोई पड़ताल बिना डॉक्टर की मौजूदगी में घोषित कर दिया गया कि बच्चा मर चुका है दरअसल मर चुका है सिस्टम जिसने तुम जैसे निकम्मों की फौज को तैनात किया है।डॉक्टर मौज काटता है,नर्स डॉक्टर बन जाती है लोगो की तकदीर अपने हाथों से लिख दी जाती है कि मर गया तुम्हारा लाल तुम्हारी ही कोख में अब कुछ नही हो सकता।किसी की सांस कितनी कीमती हो सकती है क्या कोई बता सकता है इस मुल्क में।बताओ मुल्क के मिलोर्ड क्या उसको सजा मिलेगी जिसने एक ही झटके में कई हत्याओं को अंजाम दिया है या फिर लापरवाही का तमगा देकर भुला दिया जाएगा फिलहाल सीएमओ साहब बिल्कुल ठीक कहा आपने यमराज ने तो ठान रखी थी कि जान लेनी है तो नर्स का रूप लेकर उतर आए जमीन पर और झपट ली सांसे कितने होनहार है आपकी सेना के जवान समझा जा सकता है फिलहाल मुबारक हो बड़े वाले साहब आप नही बदले आपका ये जांच का प्रवचन हर घटनाओं के बाद होने जैसा ही है बस अगर कुछ बदला है तो उस मां के परिवार का बदला है एक ही पल में उसका संसार शमसान में तब्दील हो गया और आपके लिए ये घटना मामूली है।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular