Homeबुन्देलखण्ड दस्तकमानक विहीन इंटरलॉकिंग से हो रहा विकास कार्य

मानक विहीन इंटरलॉकिंग से हो रहा विकास कार्य

मानक विहीन इंटरलॉकिंग से हो रहा विकास कार्य

रिपोर्ट : – अंजनी सोनी सौरभ कुमार

माधौगढ़- भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी है इसका अंदाजा लगा पाना अब मुश्किल साबित हो रहा है। बेशक योगी सरकार ने पुनः सत्ता में वापसी की हो लेकिन भ्रष्टाचारियों पर लगाम लगा पाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। विकास खंड कार्यालय के माध्यम से जिन गांव में इंटरलॉकिंग के निर्माण कार्य कराये जा रहे हैं। वह सभी मानक विहीन तरीके से डलवाए जा रही है। एस्टीमेट के अनुसार इंटरलॉकिंग के नीचे कच्चा कोट होना अनिवार्य होता है। जिसे मिक्सर मशीन से डाला जाता है। लेकिन स्टीमेट में कच्चा कोट होना दर्शाया जाता है, पर धरातल पर ऐसा नहीं किया जाता और लाखों रुपए की एमबी कर वारे -न्यारे किए जाते हैं। विकास खंड के सोपता गांव में तो भ्रष्टाचार की नई इबारत को लिख दिया गया है। जहां भ्रष्टाचार चरम पर है और विकास कार्यों में मानकों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। ग्राम पंचायत सचिव सुनील कुमार अपने पसंदीदा ठेकेदारों से कार्य कराते हैं। जिनमें बताया तो यह भी जाता है कि सचिव सुनील सोनकर ठेकेदारों के साथ पार्टनर भी होते हैं। सुनील सोनकर के पास जितने भी गांव हैं। उनमें उन्हीं के चहेते ठेकेदारों के पास काम होता है। जो प्रधान उनके चहेते ठेकेदारों को काम नहीं देते,उन प्रधानों को परेशान किया जाता है। यही कारण है कि उनके क्षेत्र में जितने भी गांव हैं। सभी में मानकों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। सोपता गांव के आंगनबाड़ी के पास डाली जा रही इंटरलॉकिंग में भी मानकों का कतई ध्यान नहीं रखा गया। अधिकारी अगर ठीक से जांच करवा लें तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।

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