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बचपन कच्चे मिट्टी के घड़े के समान होता है उसे जैसे चाहे वैसा पात्र बना सकते है -पं-अजय देव शास्त्री

बचपन कच्चे मिट्टी के घड़े के समान होता है उसे जैसे चाहे वैसा पात्र बना सकते है -पं-अजय देव शास्त्री

जालौन – बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। पाप के बाद कोई व्यक्ति नरकगामी हो, इसके लिए श्रीमद् भागवत में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया गया है। यह बात शिव मंदिर नैनपुरा में आयोजित साप्ताहिक श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन भागवताचार्य पं. अजयदेव शास्त्री ने उपस्थित श्रोताओं के समक्ष कही।
ग्राम नैनपुरा में शिव माता मंदिर परिसर में आयोजित साप्ताहिक श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। जिसके तीसरे दिन भागवताचार्य पं. अजयदेव शास्त्री वृन्दावन धाम ने श्रोताओं को बताया कि राजा उत्तानपाद के वंश में ध्रुव हुए हैं। ध्रुव की सौतेली मां सुरुचि के द्वारा अपमानित होने पर भी उसकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया। जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल गया। परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य संयम की नितांत आवश्यकता रहती है। भक्त ध्रुव द्वारा तपस्या कर श्रीहरि को प्रसन्न करने की कथा को सुनाते हुए बताया कि भक्ति के लिए कोई उम्र बाधा नहीं है। भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए। क्योंकि बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। पाप के बाद कोई व्यक्ति नरकगामी हो, इसके लिए श्रीमद् भागवत में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया है। बताया कि भगवान नृसिंह रुप में लोहे के खंभे को फाड़कर प्रगट होना बताता है कि प्रह्लाद को विश्वास था कि मेरे भगवान इस लोहे के खंभे में भी है और उस विश्वास को पूर्ण करने के लिए भगवान उसी में से प्रकट हुए एवं हिरण्यकश्यप का वध कर प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा की। इस मौके पर परीक्षित मीना दिनेश चन्द्र श्रीवास्तव,शशिलता सुरेश, सरिता मुकेश, रंजना, कौमी, विकास भारती, राजेश, पवन, अंकित, प्रशांत, आदर्श, तरंग, विनय, रितिक, शशांक, हिमांक, आशीष आदित्य, शौर्य, शिवम, मयंक, गांधी, कल्पना, तृप्ति, समेत बड़ी संख्या में भक्तों ने कथा का आनंद लिया।

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