● नहर की पटरी का नहीं है कोई अता – पता।

● ग्रामीणों ने किया स्थलीय निरीक्षण की माँग।

तुलसी धाम राजापुर। चित्रकूट- एक ओर तिरहार क्षेत्र का किसान लम्बे अर्से से दैवीय आपदाओं व अन्ना गौवंशों से पूरी तरह टूट चुका है वहीं सिंचाई विभाग की घोर लापरवाही के चलते चिल्ली राकस पम्प कैनाल के पश्चिमी शाखा माइनर में लगभग 30बीघा किसानों की बोई हुई रबी की फसल पूरी तरह जलमग्न हो गई है जिससे किसानों का लाखों रुपए की क्षति हुई है।

ग्राम पंचायत भटरी व ग्राम पंचायत महुआगाँव के दर्जनों किसानों के बोए हुए गेहूँ की फसल नहर विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की लापरवाही से जलमग्न हो गई है। भटरी किसान राजेन्द्र प्रसाद शुक्ला व महुआगाँव के प्रधान सुयश सिंह ने बताया कि सन् 70 के दशक में चिल्ली राकस पम्प कैनाल राजापुर का निर्माण हुआ था तब से आज तक 50 वर्ष बीत जाने के बावजूद भी कुसेली माइनर की साफ़ – सफाई व मरम्मत न कराए जाने के कारण नहरें जर्जर अवस्था में ज्यों का त्यों पड़ी हैं। इस माइनर में उत्तमपुर के पहले मेन सड़क में दूसरी ओर पटरी न होने के कारण नहर का पूरा पानी किसानों के बोए हुए गेहूँ की फसल में पूरी तरह भर गया है। जिससे क्षेत्र के किसानों की लाखों रुपए की खाद , बीज व जोताई का नुकसान हो गया है।

दोनों ही किसानों ने बताया कि 70 के दशक में तत्कालीन सिंचाई मन्त्री राधाकृष्ण गोस्वामी के द्वारा इस नहर का किसानों की आय दुगनी करने के उद्देश्य से बनवाया गया था लेकिन इस समय पहले तो किसानों को समय से पानी नहीं मिलता और किसान किसी तरह से ट्यूबवेलों के माध्यम से सिंचाई कर लिया और गेहूँ की बुआई भी कर दी। तब सिंचाई विभाग के अधिकारियों के द्वारा राजनैतिक दबाव के कारण नहर की क्षमता से अधिक मशीने चलाकर जर्जर नहर में जब वेग का पानी आता है तो नहरें जगह – जगह से टूटकर किसानों की बोई हुई फ़सलों को बर्बाद करने का काम यह अधिकारी करते हैं और नहरों की मरम्मत व सफाई के नाम पर करोड़ों रुपए का बन्दरबाँट कर लेते हैं। जैसे कुसेली उत्तमपुर माइनर में नहर की दूसरी तरफ जिसमें नहर के पटरी का कोई नामों निशान न होने के कारण जब पानी को टेल तक पहुँचाने का काम किया जाता है तो उस समय किसानों की बोई फ़सलों को बर्बाद कर देता है।

भटरी गाँव के किसान राजेन्द्र शुक्ला ने बताया कि उक्त जर्जर माइनर के सन्दर्भ में अधीक्षण अभियन्ता एवं अधिशाषी अभियन्ता को दूर भाष के माध्यम से कई बार उक्त जर्जर नहर के संदर्भ में सूचना दी गई थी तथा क्षेत्रीय किसानों के माध्यम से सफाई एवं मरम्मत हेतु शिकायती प्रार्थना पत्र भी दिया गया था। लेकिन किसी भी तरह की सफाई व मरम्मत नहीं कराई गई जिसके कारण आज का किसान बदहाली की कगार पर खड़ा हो गया है।

सिंचाई विभाग के अधिकारियों की कार्यपद्धति इस प्रकार की है कि जब किसान को पलेवा के लिए पानी की आवश्यकता होती है तब नहर को सफाई एवं मरम्मत के नाम पर बन्द रखा जाता है और जब किसान को पानी की आवश्यकता समाप्त हो जाती है उस समय अधिकारी नहर को पूरी क्षमता के साथ चलाकर किसानों को बर्बाद करने पर तुल जाते हैं।

भटरी गाँव के बयोवृद्ध किसान फेरम सिंह यादव ने बताया कि इस माइनर का टेल भटरी के पास से होकर नाली के माध्यम से नाले में पानी को डालकर पैश्वनी नदी में जोड़ा गया था लेकिन भटरी के पास सड़क बन जाने के कारण नहर के नाली व नहर के पानी की निकासी हेतु बनी नाली पूर्ण रूप से ध्वस्त हो जाने के कारण मात्र भटरी तक पानी पहुँचता है और वही पानी निकासी न होने के कारण माइनर में ओवरफ्लो करके नहर की पटरी को तोड़कर किसानों के फ़सलों को बर्बाद कर दिया है।

इस क्षेत्र का किसान खाद , बीज की व्यवस्था करने के लिए साहूकारों से कर्ज लेकर गेहूँ की बुआई करता है और यदि फ़सलें बर्बाद हो गई तो वह किसान साहूकारों से लिए गए ऋण की अदायगी नहीं कर पाता और दिन – प्रतिदिन कर्ज के बोझ से दबता जा रहा है।

गाँव के तमाम पीड़ित किसानों ने जिलाधिकारी चित्रकूट से माँग किया है कि उक्त माइनर का स्थलीय निरीक्षण करके सिंचाई विभाग के द्वारा किए गए सफाई मरम्मत के नाम पर निकाले गए रुपयों का भण्डा फोड़ तभी हो सकता है जब जिलाधिकारी द्वारा स्वयं आकर उक्त माइनर का स्थलीय निरीक्षण करने की मांग की है।