अखिलेश यादव के वक्तव्य पर अखंड राजपुताना सेवासंघ कड़ी आपत्ति दर्ज करता है – आर पी सिंह

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उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जिस तरह से प्रदेश की जनता को दिग्भ्रमित करने का कार्य किया है उस पर हम आपत्ति दर्ज करते हैं अखिलेश जी को यह समझना चाहिए कि वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और इस तरह की वैज्ञानिक शोध किसी राजनीतिक पार्टी के नेता या उसके कार्यकर्ता नहीं करते हैं बल्कि यह एक विश्वव्यापी संस्थाओं के देखरेख में उच्च स्तरीय वैज्ञानिकों के देख रेख मे किया जाता है जिसका पूरा विश्व सम्मान करता है।
उसी मानक के तहत विश्व के करोड़ों लोगों का इलाज किया जाता है लेकिन उत्तर प्रदेश की राजनीति इतने निचले स्तर तक जाएगी यह प्रदेश की जनता सोच भी नहीं सकती हैं, सिर्फ राजनीतिक व्यवस्था के तहत प्रदेश के लोगों को बहकाने या बरगलाने का कार्य करने का कार्य समाजवादी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सहित उसके तमाम संवैधानिक पद निर्वाचित लोग भी कर रहे हैं जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है इसकी जितनी भी निंदा की जाए वह कम है। हम मानते हैं कि राजनीतिक पार्टियां सदैव सत्ता के लिए अपने लाभ हानि  को देखते हुए अपना वक्तव्य देती हैं लेकिन इस महामारी काल में जब लोग व्यथित हैं लोग दुखी हैं और लोग अपने जीवन सृजन में लगे हैं उस समय इस तरह वक्तव्य देना ही एक तरह से अनुचित ही नहीं अपराध भी है।

आश्र पी सिंह ने कहा कि हम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग करते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री के वक्तव्यों को कानून के तहत लेते हुए उसकी जांच की जाए यदि वक्तव्य भ्रम फैलाने की श्रेणी में पाया जाए तो उनके ऊपर मुकदमा दर्ज करके सजा का प्रावधान किया जाए और जो राजनेता देश के लोगों को मुर्ख और बेवकूफ समझने की भूल करते है उनको भी संदेश देना चाहिए। सामाजिक संस्था के मुखिया होने के नाते यह हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि देश में किसी भी तरह का भ्रम फैलाया जा रहा हो तो उसका हम विरोध करे और लोगो को सावधान करे।
अखंड राजपूताना सेवासंघ इस तरह की मानसिकता का सदैव विरोधी रहा है और इस पर अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए पुन: एक बार इसे कानून के तहत लेने का आग्रह करता हैं जिससे कि दूसरे लोगों को भी एक संदेश मिले कि यदि गलत करेंगे तो सजा अवश्य मिलेगी । राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि कानून सिर्फ सामान्य लोगों के लिए नहीं होना चाहिए कानून उन लोगों के बीच में भी दिखना चाहिए जो लोग कानून के तहत ही अधिकार प्राप्त करते हैं और खुद को कानून के उपर समझते हैं।