आखिर मण्डलायुक्त ने गांधी जी की याद क्यों दिलायी ?

मण्डलायुक्त ने सभी नगर निकायों की अध्यक्ष
सभासदों के लिये जारी किया भावनात्मक संदेश मण्डलायुक्त की अन्तर्रात्मा से निकली आवाज दिल को झकझोरने वाली ।

डॉ० अजय शंकर पाण्डेय, मण्डलायुक्त, झाँसी द्वारा जनपद जालौन की नगर पालिका परिषद, उरई में घटित हुयी अध्यक्ष एवं सभासद के बीच घटना को जहां कानूनी दृष्टि से गंभीरता से लिया है, वहीं उन्होंने भावनात्मक रूप से भी काफी व्यथित दिखे। उन्होंने मण्डल के सभी नगरीय निकायों के अध्यक्ष एवं सभासदों को एक पत्र लिखकर उनकी अन्तर्रात्मा को झकझोरने का कार्य किया है। पत्र कुछ यूं है – अभी पिछले दिनों समाचार पत्रों में जनपद जालौन की नगर पालिका परिषद, उरई के अध्यक्ष एवं सभासद के बीच विवाद को लेकर एक दुर्भाग्यपूर्ण एवं शर्मनाक घटना घटित हुई है जो पूरे मण्डल सहित प्रदेश स्तर पर चर्चा का विषय बन गई है (समाचार पत्र की कतरन संलग्न)। नगरीय निकायों के लिये चुने गये जनप्रतिनिधि लोकतंत्र की आधारशिला होते. वार्ड के सभासद और पंचायतों के अध्यक्षों के पास एक बड़े जन समर्थन का बल होता है। जन समस्याओं के समाधान एवं विकास के रास्ते पर चलने वाले रथ के दो पहिये सरीखे ये होते हैं। अध्यक्ष और सभासद नगरीय सुविधाओं को स्तरीय बनाने के लिये एक दूसरे के सहयोगी एवं अनुपूरक होने चाहिए तथा उनसे कंधे से कंधा मिलाकर धरातल पर कार्य करने की अपेक्षा होती है। निकायों के प्रतिनिधियों के प्रति जनता के मन में सम्मान और उनसे भारी अपेक्षायें भी रहती हैं। वे अपने नागरिक सुविधाओं के सम्बन्ध में इन्हीं जनप्रतिनिधियों से भारी उम्मीदें लगाये रहते हैं। इसके उलट अध्यक्ष और सभासद के बीच में विवाद होना, नौबत मारपीट तक आ जाना नितान्त दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। जिस घटनाक्रम का मैं उल्लेख कर रहा हूँ उस घटनाक्रम में कानून अपना काम करेगा और इस सम्बन्ध में सख्त कार्यवाही के निर्देश भी दिये गये हैं। समय पर दोषी को दण्ड मिलेगा और पीड़ित को न्याय परन्तु दण्ड और न्याय की इस यात्रा में नगर निकायों की छवि पर जो बट्टा लगा है, उसकी साख पर जो प्रश्नचिन्ह लगा है, वह वास्तव में अपूर्णनीय एवं अकल्पनीय है। जिम्मेदारी और सम्मान के इस पद पर पहुंचकर उच्च स्तरीय नैतिकता एवं आदर्श जनप्रतिनिधियों से अपेक्षित है। वास्तव में इस प्रकार की घटनाएं नगर निकायों से जुड़े सभी लोगों के लिये आत्ममंथन एवं आत्म चिन्तन का विषय हैं। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जनप्रतिनिधियों को लेकर वर्णित की गई सोच को उद्धृत करना चाहूँगा “गांधी जी ने नगरीय निकायों के जनप्रतिनिधियों को निःस्वार्थभाव वाले सेवक और एक तरह से सफाई कर्मी बनकर काम करने की सलाह दी है। वर्ष 1924 से 1939 के बीच तो उन्होंने इस विषय पर दर्जनों लेख लिखे, जो समय-समय पर यंग इंडिया और हरिजन’ में प्रकाशित भी हुये। गांधी जी ने साफ शब्दों में कहा था कि म्युनिसिपलिटी के सदस्यों को सेवा भावी, अवैतनिक और नगरवासियों से प्रेमपूर्ण व्यवहार करने वाला होना चाहिए। ‘यंग इंडिया’ में उन्होंने 28 मार्च, 1929 में लिखा था- “मुझे म्युनिसिपलिटी की प्रवृत्ति में बहुत दिलचस्पी है। इसका सदस्य होना सचमुच सौभाग्य की बात है, लेकिन इस सौभाग्यपूर्ण अधिकार के उचित निर्वाह की एक अनिवार्य शर्त यह है कि इन सदस्यों को इस पद से कोई निजी स्वार्थ साधन की इच्छा नहीं रखनी चाहिए उन्हें अपना कार्य सेवाभाव से ही करना चाहिए तभी उसकी पवित्रता कायम रह सकेगी।” “इसी प्रकार 18 फरवरी, 1939 को हरिजन में उन्होंने अपने एक लेख में लिखा था- “जो लोग लोकल वाडौं अथवा म्युनिसिपलिटी में प्रतिनिधियों के हैसियत से जाते हैं, वे वहाँ प्रतिष्ठा की लालच से या आपस में लड़ने-झगड़ने के लिए नहीं जाते बल्कि नागरिकों की प्रेम पूर्ण सेवा करने के लिए जाते हैं। यह सेवा पैसा का आधार नहीं रखती। अभी दो वर्ष पहले ही हम सब ने महात्मा गांधी जी की जन्म की 150वीं जयन्ती मनायी है। इस जन्मशती को जिस उत्साह व लगाव के साथ मनाया गया है उसकी पूर्णता व सार्थकता तभी होगी जब आप गांधी जी के उपरोक्त आदर्शों को आत्मसात करेगें स्थानीय निकायों से जुड़े सभी सम्मानित अध्यक्षों व समासदों से यह अपेक्षा एवं अपील है कि नगर पालिका परिषद, उरई में घटी इस घटना पर पश्चाताप करें। सबक लें और प्रण करें कि भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति के दुर्भाग्यपूर्ण संभावनाओं को जड़ से समाप्त करने के लिये कृत संकल्पित रहेंगे। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने निकायों को लेकर जो पवित्र संकल्प व्यक्त किये हैं उस पर निष्ठाभाव से आगे बढ़ने का प्रण लेने का भी यह अवसर है।
मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप सब का कुशल नेतृत्व एवं सेवाभावी आदर्श, आपके निकाय एवं वहां के निवासियों के लिये निश्चित रूप से सुव्यवथित, नागरिक जीवन की गारन्टी बनेगा। यही संकल्प राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के लिये उत्कृष्ट श्रृद्धांजलि होगी। मण्डलायुक्त डॉ० अजय शंकर पाण्डेय ने जिलाधिकारी, जालौन को पत्र प्रेषित कर यह निर्देश दिये हैं कि वे इस घटना की प्रशासनिक जांच भी करायें। इस घटना से नगर निकायों की कार्यप्रणाली एवं जनसुविधाओं पर कोई विपरीत प्रभाव तो नहीं पड़ रहा है? घटना की पृष्ठभूमि में जो कारण परिलक्षित हो, उसकी भी जांच कराने के आदेश मण्डलायुक्त द्वारा दिये गये।
मण्डलायुक्त डॉ० अजय शंकर पाण्डेय यह भी कहा गया कि अभी दो वर्ष पहले ही हम सब ने महात्मा गांधी जी की जन्म की 150वीं जयन्ती मनायी है। इस जन्मशती को जिस उत्साह व लगाव के साथ मनाया गया है उसकी पूर्णता व सार्थकता तभी होगी जब आप गांधी जी के उपरोक्त आदर्शों को आत्मसात करेगें। स्थानीय निकायों से जुड़े सभी सम्मानित अध्यक्षों व सभासदों से यह अपेक्षा एवं अपील है कि नगर पालिका परिषद, उरई में घटी घटना पर पश्चाताप करें। सबक लें और प्रण करें कि भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति के दुर्भाग्यपूर्ण संभावनाओं को जड़ से समाप्त करने के लिये कृत संकल्पित रहेंगे। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने निकायों को लेकर जो पवित्र संकल्प व्यक्त किये हैं उस पर निष्ठामाव से आगे बढ़ने का प्रण लेने का भी यह अवसर है। उन्होंने यह भी भावनात्मक अपील सभी जनप्रतिनिधियों से की कि आप सब का कुशल नेतृत्व एवं सेवाभावी आदर्श, आपके निकाय एवं वहां के निवासियों के लिये निश्चित रूप से सुव्यवथित नागरिक जीवन की गारन्टी बनेगा। यही • संकल्प राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के लिये उत्कृष्ट श्रद्धांजलि होगी।

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