विश्व क्षय रोग दिवस (24 मार्च) पर विशेष

– बीच में न छोड़ें टीबी की दवा, इलाज का पूरा कोर्स जरूरी
– सरकारी इलाज बीच में छोड़ने का सदैव रहेगा मलाल- वसीम

चित्रकूट ब्यूरो: टीबी की पुष्टि होने पर एक बार इसका इलाज शुरू हो जाए तो रोग पूरी तरह ठीक होने और चिकित्सक की सलाह के बाद ही दवाओं का सेवन बंद करें। ऐसा न करने से क्षय रोग जटिल हो जाएगा और पूरी तरह रोग मुक्त होने में लंबा वक्त लगने के साथ ही बहुत सारी दवाएं भी फिर से खानी पड़ेगी जो कष्टकारी होगा। यह कहना है टीबी से ग्रसित (एमडीआर) रहे वसीम अहमद का।
मऊ कस्बे में स्टेट बैंक के पास रहने वाले वसीम अहमद का कहना है कि शुरुआत में परेशानी होने पर मई 2018 में संयुक्त जिला अस्पताल सोनेपुर में बलगम की जांच कराई तो टीबी की पुष्टि हुई। इसके बाद उन्होंने डॉट्स सेंटर मऊ में डॉ शेखर वैश्य के सलाह पर निःशुल्क दवा लेना शुरू किया। चार माह बाद गांव वालों ने उसके पिता को यह कहकर भ्रमित कर दिया कि रुपए न खचर् करने पड़े इसलिए बच्चे की जिंदगी खराब कर रहे हो। इसका इलाज नए गांव छावनी में होता है, वहां जाकर इलाज कराएं। पिता गांव वालों के झांसे में आ गए और नए गांव छावनी की दवा लेने के लिए सरकारी अस्पताल की दवा उन्हें छोड़नी पड़ी। इसके बाद वह नए गांव छावनी गए और वहां चार माह तक इलाज कराया, लेकिन वहां के इलाज से उन्हें कोई राहत नहीं मिली बल्कि परेशानी और बढ़ गई। इस दौरान इलाज में 30 से 40 हजार रुपये खचर् हो गये। घर की आथिर्क स्थिति खराब होने पर पिता का सरकारी इलाज की ओर फिर से रुख हुआ। उन्होंने जिला अस्पताल सोनेपुर में सीबीनाट जांच कराई, जिसमें मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी की पुष्टि हुई। एमडीआर की पुष्टि होने पर पिता उसे लेकर स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल प्रयागराज गए। वहां जांच के बाद एक हफ्ते तक भतीर् रहकर विशेषज्ञ चिकित्सकों की निगरानी में दवा सेवन करनी पड़ी। स्थिति में थोड़ा सुधार होने पर चिकित्सकों ने सलाह दिया कि अब वह अपने जनपद के डॉट्स सेंटर से मिल रही निशुल्क दवाएं ले सकते हैं। यह दवाएं बीच में किसी भी हालत में बंद नहीं करना है, अन्यथा फिर ठीक होना असंभव हो जाएगा। उन्होंने फिर मऊ डाट्स सेंटर से दवा लेना शुरू किया बीच-बीच में उनकी रिपोटर् लखनऊ जांच के लिए भेजी जाती रही। यह पता करने के लिए
कि जो दवाएं चल रही हैं, उनमें से किससे फायदा हो रहा है और किससे नहीं। पीड़ा जाहिर करते हुए कहा कि उन्हें रोजाना साढ़े सात से आठ हजार एमजी की दवा के साथ 1000 एमजीका इंजेक्शन लेना पड़ता था। चिकित्सकों के सलाह के अनुसार पूरी  ईमानदारी से दवा के नियमित सेवन का परिणाम यह हुआ कि दिसंबर 2020 में वह पूरी तरह ठीक हो गया। उन्होंने अनुभव साझा करते हुए अन्य टीबी मरीजों को सलाह के साथ हिदायत दी कि किसी भी हालत में प्राइवेट में इलाज कराने की न सोचें यह बहुत ही महंगा है और अधिकतर परिवार इसका खचर् वहन नहीं कर पाते। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पताल (डॉट्स सेंटर) में उपलब्ध दवाएं, प्राईवेट दवाओं से अच्छी हैं। दवा खाने में किसी प्रकार की दिक्कत होती है, तो सरकारी चिकित्सक को बताएं और उनके बताए अनुसार ही दवा लें। इलाज चलने तक उन्हें सरकार द्वारा खानपान में सुधार के लिए निक्षय पोषण के तहत प्रति माह 500 रुपये की आथिर्क सहायता डीबीटी के माध्यम से मिलती है। वसीम को मलाल है कि जो गलती उन्होंने सरकारी इलाज बीच में छोड़कर किया, वह कोई दूसरा न करे। अन्यथा उन्हें भी लंबे वक्त तक इलाज का ददर् झेलना पड़ेगा।
मुख्य चिकित्साधिकारी डाॅ भूपेश द्विवेदी ने बताया कि हर साल 24 माचर् को विश्व क्षय रोग दिवस मनाया जाता है। इसके मनाने का उद्देश्य टीबी के प्रति लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ पूणर्तया ठीक होने पर और चिकित्सक की सलाह के बाद ही दवाओं का सेवन बंद करने के बारे में सचेत करना है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ बीके अग्रवाल ने बताया सरकारी अस्पतालों में टीबी की सभी प्रकार की जांच व सवोर्त्तम निःशुल्क इलाज की सुविधा उपलब्ध है। क्षय रोग अधिकारी का कहना है कि जनपद में सैकड़ों क्षय रोगी सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क इलाज लेकर पूणर्तया ठीक हो चुके हैं। इसमें ऐसे रोगी भी हैं जिन्होंने बीच में दवाओं का सेवन छोड़ कर एमडीआर हो गए, फिर दवा के नियमित सेवन से ठीक हो गए।

—-यह है टीबी के लक्षण—-

जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि दो हफ्ते से अधिक समय तक खांसी आना, दो हफ्ते तक बुखार रहना, खांसी के साथ बलगम और खून आना क्षय रोग के लक्षण हैं। इसके साथ सीने में ददर् होना, लगातार वजन का घटना भी क्षय रोग का लक्षण है। उपरोक्त लक्षण होने पर टीबी की जांच अवश्य कराएं। सरकारी अस्पतालों में इसके निःशुल्क जांच की व्यवस्था है। जिले में इस समय 1015 टीबी मरीजों का इलाज चल रहा है।

—-मरीजों को गोद लेंगे अधिकारी—-

जिला क्षय रोग अधिकारी डाॅ अग्रवाल ने बताया कि विश्व क्षय रोग दिवस पर कायर्क्रम आयोजित किया जाएगा। इसमें स्वास्थ्य के साथ अन्य विभाग के अधिकारी क्षय रोगियों को गोद लेंगे।

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