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पांच नदियो के संगम स्थल पंचन्दा के पावन मनोरम पर्यटन स्थल पर चम्बल घाटी को एक शन्ति संगम

पांच नदियो के संगम स्थल पंचन्दा के पावन मनोरम पर्यटन
स्थल पर चम्बल घाटी को एक शन्ति संगम

जगम्मनपुर ( जालौन) धनवंतरि आयुर्वेद के विकास एवं संवर्धन योग शाला की स्थापना के लिये समर्पित सभी मनिसीयौ के अथक परिश्रम एवं भगीरथ प्रयास की मुख्य अतिथि गण ने भूरि भूरि प्रशंसा की, कभी दस्यू प्रभावित रहे इस क्षेत्र को एक विकषित पर्यटन स्थल के विकास के लिये ये भव्य आयोजन मील का पथ्थर सावित होगा ।
मन को प्रसन्न करने बाली हवा सौम्य वातावरण , नदियों की कलरब करती धुन,दूर दूर तक रेतीले मैदान और उस पर आयुर्वेद पद्दति हेतु बढ़िया हॉट सैंड बाथ, कोल्ड सैंड बाथ,अभ्यांग या मसाज, ये सुन कर ही अनायास मन मे मलेशिया नजर आता है। लेकिन ये वाक्य है चंबल घाटी का जहॉ आयुर्वेद पर्यटन का विधिवत प्रारम्भ किया गया । चम्बल के रेतीले मैदान दोनों प्रकार की सैंड बाथ के लिए उपयुक्त है।आज सैकड़ो की संख्या में पर्यटकों ने हॉट एंड कोल्ड सैंड बाथ का लुफ्त उठाया
विशाल सुनहरे रेतीले तट पर चम्बल फाउण्डेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भारतीय योग संस्थान, इटावा के लगभग 70स्त्री, पुरूष साधकों ने नदी के किनारे मंद मंद हवा के साथ योग और प्रणायाम का अभ्यास किया।प्राणायाम के बाद ध्यान का अभ्यास भी कराया गया।भारतीय योग संस्थान ,इटावा के प्रधान डा.श्री कान्त ने सभी साधको को नियमित साधना करने पर बल दिया।प्रो.आर.के अग्रवाल, डा.बी.के.मिस्रा,राकेश बाबू,विशाल पाण्डेय, रुचि महरोत्रा, दिप्ती मित्तल, ममता गुप्ता, अनीता अग्रवाल, कुसुम मिश्रा,सावित्री अग्रवाल अंजू जी आदि ने आयुर्वेदकी अनेक विधाओं जैसे अभ्यंग,शिरोधारा, स्वेदन आदि की सेवाओं का आनन्द लिया।
सभी नौकायन,नदी स्नान का भी आनन्द लिया।
सुनहरे रेतीले तट पर ही चाय और पकोड़ो का इंतजाम भी किया गया।
हॉट सैंड बाथ का आनंद लेते हुये *डॉ श्रीकांत जी* ने वहा की व्यवस्था देखते हुए कहा कि इस प्रकार की व्यवस्था से बाहरी पर्यटक अधिक से अधिक संख्या में चम्बल क्षेत्र में आ सकेंगे , और सैंड थेरेपी का लुफ्त उठा सकेंगे। इस थेरेपी को करने से मन प्रसन्न हो गया रेतीले स्‍थानों पर यह बाथ लेना काफी आसान होता है। वैसे हमारा इतिहास देखा जाए तो सौंदर्य के लिए प्राचीन समय में रेत से स्‍नान किया जाता था। सैंड बाथ लेने से खूबसूरती ही नही बल्कि अच्छी सेहत भी मिलती है।

*डॉ वी के मिश्रा* जी ने अभ्यंग कराने के बाद जब कोल्ड बाथ लिया और अपना अनुभव बताते हुए कहा बैंकोंक जैसी अनुभूति प्राप्त हुई जो की अविस्मणीय है।
अभ्यंग (मालिश) शरीर और मन की ऊर्जा का संतुलन बनाता है, शरीर का तापमान नियंत्रित करता है और शरीर में रक्त प्रवाह और दूसरे द्रवों के प्रवाह में सुधार करता है, इस प्रकार प्रतिदिन अभ्यंग करने से हमारा स्वास्थ्य अच्छा बना रहेता है।
प्रत्येक मनुष्य को नियमित अभ्यंग आवश्यक है। हालाँकि प्रतिदिन का स्व-अभ्यंग पर्याप्त है लेकिन सभी को समय समय पर एक अच्छी अभयंग मालिश लेनी चाहिए। अभ्यंग त्वचा को मुलायम बनाता है और वात के कारण त्वचा के रूखेपन को कम कर वात को नियंत्रित करता है।

महिला पर्यटकों में हॉट बाथ को लेकर होड़ मची रही महिलाओं का कहना था कि इससे थकान तो दूर होती है। शरीर में ठंडक का एहसास भी हुआ। इटावा से आई *श्वेता तिवारी* जी कहा कि सच मे इतना सुंदर ओर मनोरम दृश्य की उम्मीद ही नही की थी कि यह अपना वही चंबल जहा का नाम सुनते ही लोगो डर जाया करते थे, जो कभी इतनी विकट परिस्थियों में था। लेकिन आज यहाँ का प्रबंधन अविस्मरणीय है।
पर्यटकों ने शंखनाद करते हुए आतप स्वेदन भी किया। *राम कुमार दुबे* जी ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर नदी के किनारे योग किया तथा खुद को प्रकृति के बहुत निकट पाकर जो आनंद की अनुभूति हुई उसकी शब्दो मे व्याख्या नहीं की जा सकती।
*विशाल पांडे* जी ने बताया कि शिरोधारा का अनुभव सबसे अच्छा रहा। सिर के ऊपर से गिर रही सीधी धार न केवल मन को शांति प्रदान करती है बल्कि मेरा काफी दिनों से माइग्रेन के दर्द में भी आराम मिला।
अगर आप भी मानसिक रोगों से परेशान हैं तो शिरोधारा थेरेपी आपके लिए फायदेमंद हो सकती है। लेकिन आपको इसे किसी एक्सपर्ट की देखरेख में ही करना चाहिए। शिरोधारा कई समस्याओं में फायदेमंद होता है

वही *वर्षा चौवे* जी बताती है कि हमने जल नेति को किया जो की बहुत ही अच्छा अनुभव रहा। उष्ण जल से नेती करने से ऐसा लग रहा था कि हम पूरी नदी में अभी तुरंत नहा कर आये है।
*अजय कुशवाह* ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों की खान चंबल के बेहतर प्रयोग है।
*अंजू* जी कहती है कि ये पूरा टूर बहुत ही अद्वितीय रहा इसका अनुभव सच मे वैश्विक आनंद की प्राप्ति है।
वही *आर के अग्रवाल* जी ने अपना अनुभव बताते हुए कहा एक ऐसे स्थान पर जहां किसी प्रकार की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है वहां इतना सुंदर आयोजन हॉट एंड कोल्ड सेंड बाथ तथा चंबल के तट पर ठंडी हवाओं के बीच योग का एक अलग ही आनंद रहा जिसका शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता।
कार्यक्रम का मुख्य प्रबंधन देख रही।
*ममता गुप्ता जी* ने जल नेति क्रिया की और बताया जल नेति क्रिया करने से आपके मस्तिष्क को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिलती है, जिससे मस्तिष्क जल्दी नहीं थकता है। इस क्रिया को करने से आपका मस्तिष्क लंबे समय तक बेहतर काम करता सकता है और ज्यादा देर तक शांत रहता है। इतना ही नहीं इससे माइग्रेन की समस्या भी धीरे-धीरे दूर हो जाती है।

*स्वेच्छा दीक्षित* जी ने कहा कि आयुर्वेद पर्यटन की इस अनूठी शुरुआत में लोगो के चेहरे पर संतुष्टि एवम आनंद के पल हमे नई ऊर्जा प्रदान करेंगे तथा हम इस पर आगे निरंतर अच्छा करने के लिए प्रयासरत रहेंगे।

*डॉ कमल कुमार कुशवाहा* ने बताया कि आयुर्वेद पर्यटन की इस नई शुरुआत से पूरे विश्व मे भारत के चम्बल क्षेत्र की ख्याति फैलेगी। चम्बल क्षेत्र में हॉट सैंड बाथ एवम कोल्ड सैंड बाथ की संकल्पना अपने आप मे अनूठी है। चम्बल की परिस्थियां इसके लिए सुलभ है एक ही दिन में आप ये दोनों बाथ एक ही जगह ले सकते है। इसके बहुत ही फायदे है कई प्रकार के शारीरिक एवम मानसिक रोगों में शीघ्र लाभ पाया जा सकता है।
चंबल परिवार के प्रमुख *डॉ शाह आलम राना* बताते है कि दुर्लभ जड़ी बूटियों का एक केंद्रीय संग्रह केंद्र के रुप मे विकशित किया जायेगा और इससे आने बाले वर्षो में पूरी दुनिया मे चंबल की एक नई पहचान बन कर सामने आएगी।

डा0 दिनेश दीक्षित ने चम्बल क्षेत्र मे फ़ेली अनंत देशी जड़ी बूटियों के विषय मे सभी को उनके लाभ के विषय मे विस्तार से वताया।
*देशराज वर्मा जी* बताया कि दातुन करने के बारे में तो हमने हमेशा से सुना था परंतु इस आयुर्वेदिक टूर में हमे दातुन की पूरी विधि को बताया गया कि दातुन की लंबाई 12 अंगुल होनी चाहिए। सबसे छोटी अंगुली के बराबर मोटी होनी चाहिए। पहले उसको दांत से कुचल कुचल कर कूचा की आकृति का बना लेते है फिर उससे मुह के प्रत्येक भाग को पहले बाई ओर फिर दाई ओर फिर ऊपर एवम नीचे आगे तथा पीछे से साफ करते हुए दातुन को बीच से फाड़ लेना चाहिए फिर उस दातुन के एक सिरे से जिह्वा निर्लेखन कर्म करना चाहिए। जिह्वा साफ न करने से काले , सफेद या पिले रंग के कवक जीभ पर जमा हो जाते है।उनसे बाद में कई बीमारियों का भय रहता है। नीलम चौधरी ने बताया कि हमे तो कवल का प्रयोग सबसे ज्यादा अच्छा लगा असंचारी मुखे पूर्णे गनदूष कवलश्चर की तर्ज पर सिर्फ पानी को मुह मे भरने पर गनदूष और पूरा भरने पर कवल कहलाता है। कुल 12 बार भर कर निकलने से कई दांतो के रोग। केन्सर की फाइब्रोसिस तक तुरंत समाप्त हो जाती ह

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