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लाइटें बंद होने का ग्रिडों पर नहीं पड़ा कोई असर, एक झटके में 32 हजार MW कम हो गई बिजली की मांग

पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से रविवार रात नौ बजे नौ मिनट के लिए घर की सभी लाइट बंद करने की अपील के तुरंत बाद से ही इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि इसका देश के ग्रिड सिस्टम पर क्या असर होगा। हालांकि सरकार की चाकचौबंद व्यवस्था के दम पर पांच अप्रैल की रात नौ बजे जब पूरे देश में लोगों ने अपने घर की लाइटें बंद कीं तो इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होने पाया। कहीं भी बिजली आपूर्ति पर कोई असर नहीं हुआ। इन नौ मिनटों के बाद बिजली आपूर्ति को निर्बाध बनाए रखने के लिए सरकार की तरफ से काफी इंतजाम किया गया था।

स्वयं बिजली मंत्री आरके सिंह आला अधिकारियों के साथ अपने कार्यालय से समूची स्थिति पर नजर रखे हुए थे।इस दौरान कुछ ऐसे भी तथ्य सामने आए जो बिजली मंत्रालय के लिए भी नए थे।

मसलन, अभी तक बिजली मंत्रालय की तरफ से यह बताया जा रहा था कि देश में जितनी बिजली का इस्तेमाल रोशनी के लिए किया जाता है वह कुल बिजली उत्पादन का महज पांच से छह फीसद होता है। लेकिन रविवार को रात नौ बजे बिजली की मांग अचानक ही 1.17 लाख मेगावाट से घटकर 85 हजार मेगावाट रह गई। यानी लाइट बंद करने से ही बिजली की मांग लगभग 32 हजार मेगावाट कम हो गई जो कुल आपूर्ति के 27 फीसद से ज्यादा है।

बहरहाल बिजली मंत्रालय ने राहत की सांस ली है कि बिजली की मांग में उनकी उम्मीद से ज्यादा कमी आने के बावजूद ग्रिड प्रबंधन में कोई गड़बड़ी नहीं हुई। रात नौ बजकर नौ मिनट के बाद फिर से बिजली की मांग 1.10 लाख मेगावाट पर पहुंच गई। बिजली मंत्री सिंह ने इस सफल आयोजन के लिए सरकारी बिजली कंपनियों एनटीपीसी, एनएचपीसी, टीएचडीसी के अलावा एनएलडीसी, आरएलडीसी, एसएलडीसी के अभियंताओं को भी धन्यवाद दिया।

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