चित्रकूट के अनिल कुमार निलय युवा लेखक सम्मान के लिए हुए चयनित
– बाल कहानी संग्रह स्टूडेंटनामा के लिए मिलेगा सम्मान
चित्रकूट ब्यूरो: चित्रकूट के खुटहा गाँव में जन्मे और वतर्मान में राजकीय हाईस्कूल सराय आनादेव प्रतापगढ़ में प्रधानाध्यापक के पद पर कायर्रत अनिल कुमार निलय द्वारा रचित बाल कहानी संग्रह स्टूडेंटनामा को हिन्दुस्तानी एकेडेमी प्रयागराज उत्तर प्रदेश द्वारा युवा लेखन सम्मान-2022 के लिए चयनित किया गया है।
अनिल ने बताया कि एकेडेमी द्वारा दिये जाने वाले इस राज्य स्तरीय पुरस्कार के अन्तगर्त 11000 रूपये की धनराशि एवं प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया जाता है। बताया कि उनकी लिखी पुस्तक स्टूडेंटनामा 20 सकारात्मक एवं बाल केन्द्रित कहानियों का संग्रह है। सभी कहानियाँ एवं किरदार विद्यालय एवं विद्याथिर्यों के इदर्-गिदर् घूमते नजर आते हैं। कहानियों में नैतिकता एवं मूल्यबोध को सवोर्परि रखा गया है और प्रत्येक विद्याथीर् में इन्हें आत्मसात करने की आवश्यकता एवं प्रभाव को प्रदशिर्त करने का प्रयत्न किया गया है। कहानी संग्रह के माध्यम से विद्याथिर्यों को पयार्वरण संरक्षण, जल संरक्षण, ऊजार् संरक्षण जैसे आम जनमानस के अनेक ज्वलंत मुद्दों के समाधान का हिस्सा बनने का पथ प्रशस्त करने का प्रयास भी स्पष्ट तौर पर प्रतिबिंबित होता है। इसकी भाषा एवं शैली बेहद सरल एवं बोधगम्य है। बताया कि यह उनकी दूसरी कहानी संग्रह पुस्तक है। इससे पूवर् उनके पहले कहानी संग्रह लाॅकडाउन पाॅजिटिव को भी हिन्दुस्तानी एकेडेमी प्रयागराज उत्तर प्रदेश द्वारा युवा लेखन सम्मान-21 के लिए चयनित किया जा चुका है। लाॅकडाउन पाॅजिटिव भी सकारात्मक एवं बाल केन्द्रित 19 कहानियों का संग्रह है। अनिल कुमार निलय के पिता चंद्र सिंह व्यवसायी एवं माता गृहणी हैं। परिवार में बडे भाई संजय सिंह (वैज्ञानिक) व भाभी विनम्रता, भतीजा निमाई सिंह, छोटा भाई सुशील कुमार (जेआरएफ) एवं बहन साधना सिंह हैं। इनकी पत्नी का नाम प्रियंका है। अनिल भारत एवं जमर्नी की संयुक्त पहल गंगा बॉक्स के मास्टर फैसलिटेटर हैं। कहानी प्री बोडर् को आस्ट्रेलिया अन्तरराष्ट्रीय ई-पत्रिका में स्थान प्राप्त हुआ है। अनिल कुमार पर दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा एक डाॅक्यूमेंट्री बनाई जा रही है। इनके सुसाइड नोट, कालिका, जीवन यथाथर्, काव्य नगरी, मधुराक्षर, वर दे वीणावादिनी, कोरोना के रंग-कलम के संग आदि साझा संकलन प्रकाशित हो चुके हैं। अनिल ने अपनी उपलब्धि को माता-पिता, गुरूजन, परिवार, सुधी पाठकों सहित समस्त चित्रकूटवासियों को समपिर्त करते हुए कहा कि यह उपलब्धि चित्रकूट की पावन माटी के प्रताप का प्रतिफल है।
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