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दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 पर जनहित याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार का जवाब

दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 पर जनहित याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार का जवाब

दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 की परिच्छेद-13 की धारा 84 मे दिये गए दिव्यांगजनों के अधिकार के लिए माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में एक जनहित याचिका योजित की गई।

याची के अधिवक्ता आनन्द प्रकाश मिश्र एवम् विश्राम तिवारी ने माननीय मुख्य न्यायमूर्ति महोदय को बताया दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 84 में स्पष्ट कहा गया है कि मुख्य न्यायमूर्ति की अनुमति से प्रत्येक जिले मे दिव्यांगजनों के लिए विशेष न्यायालय बनाए जाएं जिसका अनुपालन करवाना न्यायहित मे आवश्यक है।

इसके जवाब मे मुख्य शासकीय अधिवक्ता द्वारा बताया गया कि उपरोक्त अधिनियम का अनुपालन किया जा चुका है, और 31 जुलाई 2019 को इस बारे मे नोटिफिकेशन हो चुका है। माननीय मुख्य न्यायमूर्ति द्वारा मुख्य शासकीय अधिवक्ता को निर्देशित किया गया कि उपरोक्त नोटिफिकेशन की सूचना याचिकाकर्ता को उपलब्ध करवाई जाए। (जनहित याचिका संख्या PIL (Civil 43/2024) ,
इसके पश्चात याचिकाकर्ता को विशेष सचिव उत्तर प्रदेश सरकार, गृह पुलिस अनुभाग उत्तर प्रदेश तथा दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग व अन्य के पत्र प्राप्त हुए।

इसी के साथ माननीय सर्वोच्च न्यायालय में इसी संदर्भ में भारत के मुख्य न्यायाधीश महोदय ने खेद प्रकट किया है कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के अंतर्गत भारत के प्रत्येक राज्य में राज्य दिव्यांगजन आयुक्त की नियुक्ति अभी तक सुनिश्चित नहीं हो सकी है। जिसके लिए 30 जून तक का समय देकर अगली सुनवाई की तिथि 19 जुलाई 2024 नियत किया गया है।

यह दुःखद है कि प्रदेश मे सामान्य जनता तथा दिव्यांगजनों को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है,

इस जनहित याचिका के याचिकाकर्ता अनुराग अग्रवाल एक समाजसेवी हैं तथा विभिन्न सामाजिक कल्याण कारी कार्यों में लगे रहते हैं

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