Homeबुन्देलखण्ड दस्तकतहसील माधौगढ़ में भ्रष्टाचारियों का बोल बाला

तहसील माधौगढ़ में भ्रष्टाचारियों का बोल बाला

तहसील माधौगढ़ में भ्रष्टाचारियों का बोल बाला

रजिस्टर्ड वसीयत के होते हुए कानून गो तथा लेखपाल ने कर दिया विरासतन आदेश

कुठौंद (जालौन) तहसील माधौगढ़ जनपद जालौन थाना कुठौंद के अंतर्गत ग्राम चंदावली निवासिनी श्रीमती गुड्डीदेवी पत्नी बसंतलाल के देवर बृज बिहारी तिवारी पुत्र रसिकलाल निवासी चंदावली तहसील माधौगढ़ जिला जालौन के द्बारा दिनांक 21/ 5 /2022 को रजिस्टार माधौगढ़ के यहां एक वसियत रजिस्टर्ड की गई जिसमें प्रार्थिनी के पुत्र रौनक तिवारी उम्र 9 वर्ष व अभिषेक तिवारी उम्र 4 वर्ष व संरक्षिका गुड्डी देवी पत्नी बसंत लाल के नाम की गई थी! इसके बाद प्रार्थनी के देवर बृज बिहारी की तबीयत बिगड़ गई जिसका इलाज जिनका काफी इलाज करने के बावजूद गंभीर बीमारी हो जाने के कारण अपने देवर को नहीं बचा सकी तथा उनकी मृत्यु दिनांक 26 /11 /2022 को हो गई थी! इसके बाद प्रार्थनी ने वसीयत के आधार पर उक्त चल अचल संपत्ति की जिसकी देखभाल कर रही था! जिसका मुकदमा तहसीलदार के यहां दाखिल खारिज के बाबत दिनांक 15 /1/ 2023 को वाद दाखिल किया इसके बाद वादिनी के अस्वस्थ होने के कारण मुकदमे की पैरवी भी नहीं कर सकी वादिनी की अनुपस्थिति में वाद की नियत तिथि 16/ 2 /2023 को उपस्थित न होने पर उसकी अनुपस्थिति में निस्तारण कर मुकदमा खारिज कर दिया गया! इसके बाद वादिनी को मुकदमे संबंधी जानकारी 25/4/2024 को हुई तब उसने तहसीलदार माधौगढ़ के यहां 26 /4./2024 को प्रार्थना पत्र दिया तब वादिनी को जानकारी हुई की वादिनी के पति के दो सगे भाई नाथूराम व प्रदीप ने लेखपाल व कानूनगो से सांठ- गांठ करके तीनों लोगों ने अपने नाम दिनांक 13/ 4/ 2024 को विरासतन दर्ज का आदेश कर दिया जिसमें लेखपाल स्वतंत्र देव तथा कानूनगो ओम नारायण ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए भ्रष्टाचारी में लिप्त होकर फर्जी तरीके से उक्त तीनों लोगों के नाम दाखिल खारिज कर दिया गया है!जो कानून के विरुद्ध है ! और न्याय संगत नहीं है! क्योंंकि रजिस्टर्ड वसीयत के आधार पर रौनक तिवारी व अभिषेक तिवारी के नाम दाखिल खारिज किया जाना था लेकिन भ्रष्टाचारियों के चलते लेखपाल तथा कानून ने आखिर अपना षड्यंत्र काबिज कर ही दिया ! यदि कानून के ठेकेदारों का इस तरह का रवैया बना रहा तो जनता का कानून से भरोसा उठ जाएगा इसलिए इस मामले के संबंध में जिलाधिकारी महोदय को प्रार्थना पत्र देकर तथा समाचार पत्र के माध्यम से वादनी के द्वारा शासन तथा प्रशासन से पुरजोर अपील करते हुए मांग करती है की मेरी रजिस्टर्ड वसीयत के आधार पर ही दाखिल खारिज का आदेश किया जाए और प्रथम आदेश भ्रष्टाचार की भेंट चढ़कर किया गया है जिसको निरस्त किया जाए! तभी आला अधिकारियों द्वारा दिया गया न्याय हित में माना जाएगा!

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