जौनपुर:- कोरोना वैश्विक महामारी के देश में लागू लाक डाऊन के समय में एक बार फिर सरकार ने मनरेगा मजदूरों को याद किया है और घोषणा किया है कि पूरे देश में मनरेगा मजदूरों को उनके खाते में जीविको पार्जन के लिए 1000 रूपये प्रति श्रमिक दिया जाये और अपनी घोषणा के क्रम में पैसा भी रिलीज कर रही है ।
अब यहाँ पर सवाल यह उठता है कि क्या जिनके नाम मनरेगा मजदूरों की सूची में और सरकार तथा शासन, प्रशासन मनरेगा मजदूर मान रहे है क्या वे सचमुच मनरेगा मजदूर अथवा गरीब है या नहीं ? क्योंकि सूत्र बताते हैं कि मनरेगा मजदूरों की सूची तैयार करने में गांव के जन प्रतिनिधि / ग्राम प्रधान एवं सेक्रेटरी कमीशन खोरी के चक्कर में जो खेल किये हैं उससे असली गरीब और श्रमिक सूची से बाहर है। इसके बिषयक जनपद जौनपुर ग्राम सभाओं का सर्वे कराया गया तो जो सच दृष्टिगोचर हुआ वह दाँतो तले अंगुली दबाने को मजबूर कर देता है। अधिकतम आठ से दस प्रतिशत गरीब एवं सचमुच मजदूर है तो 90 प्रतिशत ऐसे लोगों का नाम मनरेगा मजदूरों की सूची में है जो ग्राम प्रधान के परिवार अथवा खानदान एवं सम्पन्न लोग है। गांव सभा के चुनावों में जीते प्रधान का साथ देने वालो को सरकारी लाभ दिलाने के लिए प्रधान एवं सेक्रेटरी मिल कर अपात्रो को मनरेगा मजदूर बना रखा है। ऐसे लोग मजदूरी करने के बजाय अपना कोई दूसरा कारोबार करते है गरीबों से काम करवा के आधा धनराशि को बांटना सगल बन गया है। सरकार इस महामारी की बेला में चूंकि गरीबों का मदत करना चाहती है और सूची में दर्ज लोगों को गरीब मजदूर मान कर 1000 रूपये प्रति श्रमिक खाते में दे रही है । ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या सचमुच गरीब पैसा पा रहा है या नहीं। अब दूसरी सवाल यह है कि शासन प्रशासन के लोग क्या जिलों में गांव वार सूची में दर्ज लोगों के सत्यता की जांच कराने के बाद असली गरीब को पैसा भेजने का उपक्रम करेंगे या आंखें बंद कर प्रधान की सूची को सच मानकर अपने जिम्मेदारी की इतिश्री कर लेंगे। यदि जिम्मेदारी तक ही सरकारी तंत्र सीमित रहा तो यह तय माना जा सकता है कि सरकार की असली मंशा पर पानी फिरना तय है। गरीब भूखों मरने को मजबूर होगा और अपात्र मलाई काट लेंगे। ऐसे में जिसे के प्रशासनिक अधिकारीयों को चाहिए कि अपने सरकारी सूत्र के जरिए असली गरीबों की जांच कराके उनके रोटी का प्रबंध करें। क्योंकि गरीब मजदूरी करके ही अपने परिवार का भरण-पोषण करता है वह इस समय महामारी के चलते रोटी रोजी के संकट से जूझ रहा है।
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