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बुंदेलखंड व कानपुर के चुनावी दंगल से भाजपा बचा पाएगा गढ़ या काबिज होगी समाजवादी पार्टी ?

बुंदेलखंड व कानपुर के चुनावी दंगल से भाजपा बचा पाएगा गढ़ या काबिज होगी समाजवादी पार्टी ?

बुंदेलखंड और कानपुर की 40 विधानसभा क्षेत्रों में कौन कहां पड़ रहा भारी: रण में योद्धाओं की बाजीगरी बंद मशीनों में कैद पहलवानों की किस्मत

बुंदेलखंड एवं कानपुर सहित 11 जिलों की 40 सीटों के चुनाव में सारे सूरमा हांफ गए। देर शाम सभी दलों ने अपनी बंपर जीत का दावा किया लेकिन अंदरखाने सब सशंकित रहे। मतदाताओं में उत्साह रहा लेकिन कोई दल बूथों की भीड़ से सही अंदाज नहीं लगा सका है। तीसरे चरण में कानपुर मंडल के छह जिलों की 27 सीटों पर चुनाव हुआ।

इनमें से 22 पर भाजपा, चार पर सपा और एक पर कांग्रेस काबिज है। इस बार भाजपा के पास सीटें बचाने-बढ़ाने की चुनौती थी तो सपा के लिए अपने गढ़ की सीटें वापस छीनने की।बसपा और कांग्रेस स्कोर कार्ड बेहतर करने के लिए लड़ीं। उधर बुंदेलखंड के पांच जिलों की जिन 13 सीटों पर चुनाव हुआ, वह सभी 2017 में भाजपा ने जीती थीं। विपक्षी दल बुंदेलखंड में भाजपा से सीटें छीनने की मशक्कत में जुटे रहे।

कहीं मुद्दे चले तो कहीं ध्रुवीकरण
बेरोजगारी, महंगाई, अन्ना पशु जैसे मुद्दों के शोर के बीच मतदान शुरू तो हुआ लेकिन जैसे-जैसे दिन चढ़ा, मुद्दे नेपथ्य में जाने लगे। ध्रुवीकरण का धुआं वातावरण पर छाने लगा। सीसामऊ विस क्षेत्र के एक नौजवान वोटर ने इस तरफ इशारा किया। उसके शब्द थे, ‘तालीम या प्रदूषण जैसे मुद्दों पर इस बार भी वोटरों ने नहीं सोचा। मतदान के पीछे का माइंडसेट नहीं बदल रहा है।’

इन सीटों पर रोमांचक भिड़ंत
कई सीटों पर टक्कर इतनी जबरदस्त हुई कि दशकों से चुनाव देख रहे सियासी सूरमा भी कुछ अंदाज नहीं लगा पाए। कानपुर से बिठूर में भाजपा सपा के साथ बसपा ने बराबरी का मोर्चा लिया। बिल्हौर में रोमांचक टक्कर हुई है। कन्नौज और छिबरामऊ में भाजपा और सपा के बीच जबरदस्त मुकाबला हुआ है

कानपुर देहात की सिकंदरा सीट पर मजबूत त्रिकोणीय संघर्ष का अनुमान लगाया जा रहा है। भाजपा, सपा के साथ बसपा ने बराबर की टक्कर ली है। कैंट, आर्यनगर और किदवई नगर में कांग्रेस भी मुख्य मुकाबले में शामिल रही। बुंदेलखंड की दो सीटों पर ऐसा ही कांटे का मुकाबला देखा गया। हमीरपुर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी ने भाजपा, सपा के साथ कड़ा संघर्ष किया। मऊरानीपुर में अपना दल और सपा के बीच जबरदस्त टक्कर हुई। समाजवादी पार्टी की रफ्तार से भाजपा के बेचैन रही l मतदान केंद्रों पर हाथी और पंजा के समर्थक नदारद रहे l

बेखौफ बिकरू में 61 फीसदी मतदान
देश में चर्चित हुए बिकरू कांड वाला बिकरू गांव कई दशक बाद लोकतंत्र के पर्व पर बेखौफ रहा। विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद यह पहला विस चुनाव था। यहां नजारा बदला रहा। स्वेच्छा से वोट पड़े। हर बार की तरह जबरन वोट लेने वाला दुर्दांत विकास दुबे का इशारा इस बार नहीं था। प्रेक्षक राकेश सिंह राणा और एसपी आउटर अजीत सिन्हा पहुंचे। अरसे बाद यहां सभी दलों के बस्ते देखे गए।

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