Homeआन्या स्पेशलश्रीमद देवीभागवत कथा सुन मंत्रमुग्ध हुए श्रोता

श्रीमद देवीभागवत कथा सुन मंत्रमुग्ध हुए श्रोता

श्रीमद देवीभागवत कथा सुन मंत्रमुग्ध हुए श्रोता

ईंटों (जालौन )- हर वर्ष की भांति बड़ी माता मंदिर प्रांगण गोहन मेंसमस्त ग्रामवासियो के सहयोग से चल रही 21वीं संगीतमय श्री देवीभागवत कथा में सत्य स्वरुप भगवान का वंदन किया गया। साध्वी माँ ऋतू पाण्डेय के श्रीमुख से श्रीदेवीभागवत की कथा सुन श्रोता भाव विभोर हो गए।
साध्वी माँ ऋतू पाण्डेय ने सुखदेव जी महाराज की श्रृष्टि का वर्णन किया। कहा किस तरह से भगवान ने ब्रम्हा जी को स्लोकी भागवत कथा का श्रवण कराया। उन्होंने विदुर जी और मैत्रैयी मुनि के संवाद में पुन: श्रृष्टि का वर्णन करते हुए भगवान ब्रम्हा जी द्वारा अलग-अलग ऋषियों की उत्पत्ति के बारे में बताया। कथा के अंत में मनु महाराज के दो बेटे और तीन पुत्रियां प्रियब्रत, उत्तान पाद, आकूति, देवहुति प्रस्तुति इन पांचों संतानों के बारे में विस्तृत रूप से वर्णन किया। माँ ऋतू पांडेय ने कहा ने कहा कि श्रीमद देवी भागवत सुनने का लाभ भी कई जन्मों के पुण्य से प्राप्त होता है। श्रीमद् भागवत कथा मनुष्य को जीवन जीने और मरने की कला सिखाती है। मनुष्य को जीवन परमात्मा ने दिया है, लेकिन जीवन जीने की कला हमें सत्संग से प्राप्त होती है। सत्संग का मनुष्य के जीवन में बड़ा महत्व है। कथा व्यास ने कथा का वाचन करते हुए कहा कि भगवान भक्तों के वश में हैं। भगवान हमेशा अपने भक्तों का ध्यान रखते हैं। उन्होंने कहा कि जब जब धरती पर पापए अनाचार बढ़ता है, तब.तब भगवान श्रीहरि धरा पर किसी न किसी रूप में अवतार लेकर भक्तों के संकट को हरते हैं। उन्होंने कहा कि जब कंस के पापों का घड़ा भर गया तब भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लेकर कंस का अंत किया और लोगों को पापी राजा से मुक्ति दिलाई। कथा के दौरान कथा व्यास ने अनेक भक्तिपूर्ण भजन प्रस्तुत किए। जिनमें नंद घर जन्में कन्हैया कान्हा अब तो ले लो अवतार बृज में में तो नंद भवन में जाऊंगी, यशोदा जायो ललना, श्याम तेरी वंशी पुकारे राधा राम भजनों को सुन श्रोता मंत्रमुग्ध हो थिरकने को मजबूर हो गए। इस दौरान कथा व्यास ने कहा कि आज व्यक्ति मोह माया के चक्कर में फंसकर अनीति पूर्ण तरीके से पैसा कमाने में जुटा है। जिसका परिणाम अंतत उसे भोगना पड़ता है। मानव मानव की तरह नहीं जी रहा है। श्रीमद् भागवत जीवन जीने और मरने की कलां सिखाती है। उन्होंने बताया कि कलयुग में दुख के तीन कारण हैं, समय, कर्म और स्वभाव। उन्होंने कहा कि स्वभाव से जो दुखी है वो कभी सुखी नहीं हो सकता। जिस घर में अनीति से धन कमाया जाता है उस परिवार में कभी एकता नहीं रहती। वहां हमेशा बैर बना रहता है।इस मौके पर पारीक्षित रामकुमार तिवारी सहित सैकड़ो भक्तजन मौजूद रहे|

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular