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दूसरे बच्चे के जन्म में तीन साल का अंतर जरूरी

दूसरे बच्चे के जन्म में तीन साल का अंतर जरूरी

– शादी के दो साल बाद ही पहले बच्चे के जन्म की सोचें

चित्रकूट ब्यूरो: मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने और बेहतर मातृत्व स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि शादी के दो साल बाद ही पहले बच्चे के जन्म की योजना बनायी जाए और दूसरे बच्चे के जन्म में कम से कम तीन साल का अंतर जरूर रखा जाए। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने बहुत कारगर और सुरक्षित साधनों से युक्त बास्केट ऑफ च्वाइस मुहैया करा रखी है। इसके लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि किसको, कब और कौन सा साधन अपनाना बेहतर होगा। बास्केट ऑफ च्वाइस में परिवार नियोजन के लिए नौ साधनों को शामिल किया गया है। इस बारे में उचित सलाह के लिए स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक, परिवार नियोजन काउंसलर, आशा कायर्कतार् और एएनएम की मदद ली जा सकती है।
अपर मुख्य चिकित्साधिकारी (आरसीएच) डाॅ राजेश कुमार आजाद का कहना है कि जिले में 107 स्वास्थ्य इकाइयों पर परिवार नियोजन काउंसलर व कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (सीएचओ) की मदद से लाभाथीर् को परिवार नियोजन साधनों को अपनाने के लिए परामशर् दिया जाता है। जबकि 40 स्वास्थ्य इकाइयों पर बॉस्केट ऑफ च्वाइस के बारे में लाभाथीर् की स्थिति के अनुसार उचित परामशर् दिया जाता है। प्रत्येक माह की 21 तारीख को आयोजित होने वाले खुशहाल परिवार दिवस, प्रत्येक गुरूवार को आयोजित होने वाले अंतराल दिवस एवं प्रत्येक माह की नौ तारीख को आयोजित होने वाले प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस पर भी इस बारे में जानकारी दी जा रही है। पुरुष और महिला नसबंदी, आईयूसीडी, पीपीआईयूसीडी, त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन, माला एन, कंडोम, छाया और ईसीपी की गोलियां बॉस्केट ऑफ च्वाइस का हिस्सा हैं। रामनगर ब्लाक के बसिंघा निवासी 35 वषीर्या उमिर्ला बताती हैं कि वह अपने पसंद के मुताबिक अन्तरा इंजेक्शन ले रही हैं। डॉ आजाद बताते हैं कि परिवार नियोजन का साधन हर लाभाथीर् अपनी जरूरत और पसंद के हिसाब से अपनाता है, लेकिन काउंसलर और चिकित्सकों को दिशा-निदेर्श है कि वह लाभाथीर् के उन पहलुओं की भी जानकारी जुटाएं, जिनमें कोई साधन विशेष उनके लिए उपयुक्त है या नहीं।
—-परिवार नियोजन में जिले की स्थिति—-
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला डेटा प्रबंधक संतोष श्रीवास्तव ने बताया कि वित्तीय वषर् 2021-22 में महिला नसबंदी पांच, आईयूसीडी 642, पीपीआईयूसीडी 432, त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन 500, माला एन 11446 स्ट्रिप्स, कंडोम 98,232, छाया 2608 स्ट्रिप्स के लाभाथीर् जिले में परिवार नियोजन सेवा प्राप्त करने के लिए आगे आए हैं।
—-साधनों को चुनते समय यह भी रखें ध्यान—-
उन पुरुषों को नसबंदी की सेवा अपनानी चाहिए जो शादी-शुदा हों और जिनकी उम्र 60 वषर् से कम हो। उनके पास कम से कम एक बच्चा होना चाहिए। जिसकी उम्र एक वषर् से अधिक हो। पुरुष नसबंदी तभी करवानी चाहिए जब पत्नी ने नसबंदी न करवाई हो। पुरुष नसबंदी कभी भी करवाई जा सकती है। महिला नसबंदी प्रसव के सात दिन के भीतर, माहवारी शुरू होने के सात दिन के भीतर और गभर्पात होने के तुरंत बाद या सात दिन के अंदर करवाई जा सकती है। वह महिलाएं इस साधन को अपना सकती हैं जिनकी उम्र 22 वषर् से अधिक और 49 वषर् से कम हो। दम्पति के पास कम से कम एक बच्चा हो जिसकी उम्र एक वषर् से अधिक हो। पति ने पहले नसबंदी न करवाई हो और सुनिश्चित कर लें कि महिला गभर्वती न हो और प्रजनन तंत्र में संक्रमण न हो। आईयूसीडी को माहवारी के शुरू होने के 12 दिन के अंदर या असुरक्षित यौन संबंध के पांच दिन के अंदर अपना सकते हैं । यदि लाभाथीर् के पेडू में सूजन, एड्स या यौन संचारित संक्रमण का खतरा हो, यौनि से असामान्य रक्तस्राव हो, ग्रीवा, गभार्शय या अंडाशय का कैंसर हो तो यह साधन नहीं अपनाया जाना चाहिए।
बताया कि प्रसव के बाद पीपीआईयूसीडी 48 घंटे के अंदर या प्रसव के छह सप्ताह बाद लगवायी जा सकती है। पानी की थैली (झिल्ली) फट जाने के 18 घंटे बाद प्रसव होने की स्थिति में, प्रसव पश्चात बुखार एवं पेटददर् होने पर, योनि से बदबूदार स्राव या प्रसव के पश्चात अत्यधिक रक्तस्राव होने पर यह साधन नहीं अपनाया जाना चाहिए। गभर्पात होने के बाद तुरंत या 12 दिन के अंदर इसे अपना सकते हैं, बशतेर् आईयूसीडी संक्रमण या चोट न लगा हो। त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन प्रसव के छह सप्ताह बाद, तुरंत बाद, माहवारी शुरू होने के सात दिन के अंदर, गभर्पात होने के तुरंत बाद या सात दिन के अंदर लगवाया जा सकता है। यह इंजेक्शन उच्च रक्तचाप (160 या 100 से अधिक), अकारण योनि से रक्तस्राव, प्रसव के छह सप्ताह के भीतर, स्ट्रोक या मधुमेह की बीमारी, स्तन कैंसर (पहले या बाद में) और लीवर की बीमारी की स्थिति में नहीं अपनायी जानी चाहिए। इसे चिकित्सक की परामशर् से ही अपनाना है। साप्ताहिक छाया गोली प्रसव के तुरंत बाद, माहवारी शुरू होने से पहले, गभर्पात होने के तुरंत या सात दिन के अंदर अपना सकते हैं। जिन महिलाओं के अंडाशय में सिस्ट, बच्चेदानी के मुंह में बदलाव, पीलिया या लीवर के बीमारी का इतिहास, किसी भी प्रकार की एलजीर् और टीबी या गुदेर् जैसी कोई गंभीर बीमारी हो तो वह इस साधन को न अपनाएं । कंडोम का इस्तेमाल पुरुष कभी भी कर सकते हैं। यह अनचाहे गभर् के अलावा यौन संक्रमण और एचआईवी या एड्स से भी बचाता है। गभर्निरोधक गोली माला एन प्रसव के छह महीने बाद (केवल स्तनपान की स्थिति में), प्रसव के तीन सप्ताह बाद, माहवारी शुरू होने के पांच दिन के अंदर, गभर्पात होने के तुरंत या सात दिन के अंदर अपना सकते हैं । यह गोली पीलिया होने या पीलिया का इतिहास होने पर, स्ट्रोक, लकवा या ह्रदय रोग, 35 वषर् से अधिक उम्रकी  धूम्रपान करने वाली महिलाओं, उच्च रक्तचाप (140 या 90 से अधिक) या माइग्रेन की स्थिति में नहीं लेनी है।

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