Homeजालौनबिहार के चर्चित पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने पंचनद पर किए देवदर्शन

बिहार के चर्चित पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने पंचनद पर किए देवदर्शन

संवाददाता सौरभ कुमार की रिपोर्ट

रामपुरा जगम्मनपुर ,जालौन। बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने जगम्मनपुर पहुंचकर पंचनद तीर्थ क्षेत्र के देव स्थलों व प्राचीन ऋषियों की तपोस्थली के दर्शन किए।
बिहार राज्य के बहुचर्चित रहे पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडे जगम्मनपुर पहुंचे और पंचनद क्षेत्र में बैदिक काल से अब तक के अनेक संत ऋषियों की तपोस्थली श्री बाबा साहब मंदिर पर अलौकिक ऋषियों का सानिध्य प्राप्त कर श्री श्री 1008 मुकुंदवन (बाबा साहब महाराज) को मंदिर में प्रणाम किया। नदी के दूसरे तट पर स्थित महाकालेश्वर मंदिर पर पहुंचकर भगवान महादेव जी के दर्शन किए व पांच नदियों के संगम तथा चार जनपदों के मिलन का विहंगम दृश्य देख सुखद अनुभूति की। पंचनद के जंगल व चंबल की घाटी के पूर्व दस्युओं की प्राचीन गतिविधियों एवं उनके द्वारा किए गए अत्याचारों के किस्से भी ग्रामीणों से सुने। इस अवसर पर स्थानीय समाजसेवी विजय द्विवेदी से पंचनद महात्म पर बिस्तृत चर्चा की।
बिहार प्रदेश के गेरूबांध बक्सरी में 11 फरवरी 1961 को जन्मे श्री गुप्तेश्वर पांडे 1987 के आईपीएस अधिकारी रहे है ।
गौरतलब है कि बिहार में पुलिस सेवा के दौरान कई कारनामों से चर्चा में रहने वाले गुप्तेश्वर पांडेय ने बर्ष 2015 में बिहार सरकार द्वारा राज्य में शराब पर प्रतिबंध के समय सख्ती से शराबबंदी अभियान चलाकर व अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत सुसाइड केस में रिया चक्रवर्ती पर बयान देकर खूब सुर्खियां बटोरी थीं ।बतौर डीजीपी उनका कार्यकाल 28 फरवरी, 2021 तक था। लेकिन उन्होंने असेंबली चुनाव से ठीक पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। माना जा रहा था कि नीतीश कुमार उन्हें टिकट देकर चुनाव में उतारेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति से राजनीति में जाने के बाद वह अब भागवत कथावाचक बन गए हैं। उनका कहना है कि उनका जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ है, सनातनी परिवेश में रहने का अनुभव शुरू से ही है। अयोध्या से कथा प्रवचन की पूरी शिक्षा दीक्षा लेकर वह आध्यात्म की राह पर चल पड़े हैं।
बिहार के डीजीपी रहे गुप्तेश्वर पांडेय का राजनीति से पूरी तरह से मोहभंग हो चुका है। उन्होने कहा कि वो इस जीवन में तो राजनीति में वापस नहीं जाना चाहेंगे। उनका कहना था कि वो डीजीपी थे तो पहले बहुत से एनकाउंटर किए तब वो भी नौकरी का हिस्सा था। डीजीपी के पद से त्यागपत्र देकर राजनीति में आने की कोशिश भी की लेकिन वो वह उनके जीवन काल का भूतकाल है।
एक सवाल के जवाब में उनका कहना था कि आध्यात्म से ही समाज का कायाकल्प किया जा सकता है। जब तक व्यक्ति की चेतना में परिवर्तन नहीं होता तब तक अपराध या भ्रष्टाचार कभी खत्म नहीं होगा। उनका कहना था कि कोई भी राजनीतिक व्यवस्था या कानून और समाज सुधारक समाज में सुधार नहीं ला सकता। हम सबको स्वयं अपने आसपास को सुधारना होगा एवं आध्यात्म के जरिए लोगों की चेतना को परिष्कृत करना होगा। इस अवसर पर प्रसिद्ध कथावाचक एवं बिरिया मंदिर के महंत जी, दीपक सिंह राजावत माधौगढ़, अरविंद सिंह भदौरिया रामपुरा, समर सिंह भदौरिया, राजेश सिंह भदौरिया बिरिया आदि अनेक क्षेत्रीय सम्मानित लोग मौजूद थे।

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