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टीबी दिवस के अवसर पर जनपद में 259 क्षय रोगी लिए गए गोद

टीबी दिवस के अवसर पर जनपद में 259 क्षय रोगी लिए गए गोद

– जिलाधिकारी और सीएमओ की मौजूदगी में हुआ आयोजन

– मिशन 2025 के लिए स्वयंसेवी संस्थाएं भी आईं आगे 

चित्रकूट ब्यूरो: देश को वषर् 2025 तक क्षय रोग यानि टीबी मुक्त बनाने के लिए हर दिन नए-नए प्रयास हो रहे हैं। इसी क्रम में गुरुवार को जनपद में 259 टीबी रोगियों को गोद लिया गया। टीबी दिवस पर यह पहल राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की प्रेरणा से शुरू हुई। इसी तरह लखनऊ समेत प्रदेश के सभी 75 जिलों में टीबी रोगियों को गोद लिया गया।
आयोजन के दौरान जिलाधिकारी शुभ्रांत कुमार शुक्ल ने कहा कि राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की पहल पर चित्रकूट में क्षय रोगियों को गोद लेने की व्यवस्था प्रारंभ की गई है। यह एक अच्छी पहल है। हम सभी गोद लेने वाले लोग टीबी मरीजों को स्नेहदान करेंगे। इससे समाज में बहुत ही धनात्मक ऊजार् का संचार होगा। उन्होंने कहा कि हम सभी का प्रयास है कि क्षय रोगी भी जल्द स्वस्थ हों और अन्य स्वस्थ लोगों की तरह मुख्य धारा में जीवन यापन कर सकें। उन्होंने निदेर्श भी दिया कि जो लोग क्षय रोगियों को गोद ले रहे हैं, वह सभी नियमित फोन कर मरीज या उसके परिजन से हालचाल लेते रहें। उन्होंने क्षय रोग से ठीक हो चुके लोगों को बधाई दी और कहा कि जो लोग अभी क्षय रोग से ग्रसित हैं, उनके मदद के लिए जिले के सभी डॉक्टर व वह स्वयं हर संभव मदद करेंगे। उन्होंने कहा कि सभी मिलकर प्रयास करेंगे की 2025 तक जनपद टीबी मुक्त हो जाए।
मुख्य चिकित्साधिकारी डाॅ भूपेश द्विवेदी ने कहा कि क्षय रोग का पूणर् इलाज उपलब्ध है। अब इससे डरने की जरूरत नहीं है। लगातार छह माह तक इलाज लेने से यह बीमारी पूरी तरह से ठीक हो जाती है। उन्होंने कहा कि जिला क्षय रोग अधिकारी सुनिश्चित करें कि टीबी मरीज के पते और संपकर् नंबर सही से दजर् हो। इससे मरीज से आसानी से संपकर् किया जा सकेगा। सीएमओ ने कहा कि यदि आपमें या आसपास के किसी व्यक्ति में टीबी का कोई लक्षण नजर आता है तो तत्काल बलगम की जांच कराएं।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ बीके अग्रवाल ने विश्व क्षय रोग दिवस के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत सरकार की ओर से 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने की योजना है। जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि क्षय रोग को तपेदिक या टीबी भी कहा जाता है। इसे प्रारंभिक अवस्था में ही नहीं रोका गया तो यह जानलेवा साबित हो जाता है। समय से इलाज शुरू नहीं होने पर यह बीमारी व्यक्ति को धीरे-धीरे मारती है। इसलिए लक्षण महसूस होते ही इलाज शुरू हो जाना चाहिए। गौरतलब है गत माह ही राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने प्रदेश के जिलाधिकारियों को टीबी ग्रस्त बच्चों को गोद लेने, संपूणर् इलाज, जांच व फॉलोअप संबंधी आदेश दिया था।
गोद लेने वाले उप जिलाधिकारी सत्यम मिश्रा ने कहा कि उन्हें मानव सेवा की सीख अपने माता-पिता से मिली है। उन्होंने क्षय रोगियों की सेवा करने के अवसर को सुनहरा अवसर बताया। कहा कि उनका पूरा प्रयास रहेगा कि इन रोगियों की दवा और जांच नियमित रूप चलती रहे। साथ ही टीबी मरीजों को हर महीने मूंगफली, चना, गुड़, सत्तू, सोयाबीन, समेत न्यूट्रिशिनल सप्लीमेन्ट मिलता रहे।

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