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योगेश्वर श्रीकृष्ण से अजुर्न के अलावा दो और लोगों ने सुनी थी गीता- बद्री प्रपन्नाचार्य

योगेश्वर श्रीकृष्ण से अजुर्न के अलावा दो और लोगों ने सुनी थी गीता- बद्री प्रपन्नाचार्य
– गीता का उनके जीवन पर क्या पड़ा प्रभाव
चित्रकूट ब्यूरो: कथा व्यास बद्री प्रपन्नाचार्य महाराज ने राजस्थान माबर्ल कपसेठी चित्रकूट में भागवत कथा सुनाते हुए कहते हैं कि जिस पर भगवान की कृपा होगी, उसीके हृदय में माता सरस्वती की कृपा होगी और कण्ठ मे विराजमान होकर कथा कहलावाएंगी। वह मानते हैं कथा स्वयं भगवान कहते हैं जैसे गीता स्वयं योगेश्वर श्रीकृष्ण ही सुना सकते हैं।
कुरूक्षेत्र के मैदान मे स्वयं योगेश्वर श्रीकृष्ण ने अजुर्न को गीता सुनाई। सभी जन सहज भाव से जानते हैं कि मोह से ग्रस्त अजुर्न को युद्ध के लिए तैयार करने के लिए स्वयं के दिव्य दशर्न दिए, जिससे अजुर्न ने गीता सुनकर कहा हे प्रभु मैं स्वयं को जान गया। मेरा खुद से साक्षात्कार हो गया। अजुर्न का समस्त मोह-माया रूपी अंधकार समाप्त हो गया। कथा व्यास आगे बोले कि सिफर् अजुर्न ही नहीं कथा सुन रहा था। संजय को दिव्य दृष्टि प्राप्त थी इसलिए संजय भी उस वक्त योगेश्वर श्रीकृष्ण द्वारा कही जा रही कथा का श्रवण कर रहे थे। इस कथा श्रवण से संजय के जीवन मे यह परिवतर्न आया कि उसने युद्ध शुरू होने से पहले ही धृतराष्ट्र को युद्ध का परिणाम बता दिया था। एक और व्यक्ति जो स्वयं धृतराष्ट्र थे जो संजय की वजह से गीता सुन रहे थे। जो कुछ श्रीकृष्ण कहते वह सबकुछ संजय धृतराष्ट्र को श्लोक और अथर् सहित बताते। इस तरह मोहग्रस्त धृतराष्ट्र भी गीता सुन पा रहे थे। जब गीता समाप्त हुई तब धृतराष्ट्र ने संजय से पूछा पाण्डव और मेरे पुत्र कौरव क्या कर रहे हैं। अथार्त धृतराष्ट्र भी गीता सुन रहे थे, परंतु उन्हें सत्य का ज्ञान नही हुआ। उनका मोह समाप्त नहीं हुआ। वह युद्ध नहीं रोक सके अपितु कौरवों के विजय की कामना अभी भी कर रहे थे। फिर क्या हुआ धृतराष्ट्र के गीता सुनने से, कुछ भी नहीं। स्पष्ट है कि सुनने की कुशलता होनी चाहिए। जैसे संजय और अजुर्न मे एकाग्र होकर सुनने की कुशलता थी, उनमें आस्था थी। ऐसे ही मनुष्य के जीवन में पूजा पाठ करने की कुशलता होनी चाहिए और कथा भी ऐसे सुनें कि ध्यान करें तो भगवान का चित्रण आपके मन-मस्तिष्क मे होने लग जाए। ऐसा नही हो सकता जीवन भर करते हैं काम और अंत मे सोचते हैं निकल आए राम, पहले काम से मुक्ति पाकर सावधान होकर कथा सुन लें तो एक मुहूतर् मे मुक्ति हो जाएगी। जीवन के सत्य का पता लग जाएगा. इसलिए अजुर्न, संजय और धृतराष्ट्र के जीवन से अपने जीवन का सत्य जानिए।
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