'दरबारी विदुषक' शब्द मन मे आते ही आंखों मे बीरबल और तेनालीराम की छवि उभर आती हैं। दरबारी विदुषको के किस्से न सिर्फ इतिहास की मुख्य धारा का हिस्सा है बल्कि इनकी कहांनिया कथा साहित्य को भी समृद्ध करते...
यहाँ कोकिला नहीं काग है ,शोर मचाते
काले- काले कीट ,भ्रमर का भ्रम उपजाते।।
सुप्रसिद्ध कवियत्री सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता ' जलिंयावाला बाग में बसंत' में इस मार्मिक चित्रण से भारतीय जनमानस की संवेदना को स्वर प्रदान किया है। कई...
कैसी यह उदासी छाई है ?
कहाँ से यह विरानगी आई है ?
दिल कुछ कहना चाहता है,
पर लबों पर खामोशी छाई है ,
गुलज़ार रहते थे जो शहर कल तक,
उसमें खालीपन की बयार आयी है ।
हौसलों की उड़ान पर जो उड़ा...
सात बातों का ध्यान रखें,
यह देश हमारा प्यारा है।
जान है तो जहान है,
यही प्रधान का नारा है।।
विश्व जहां डरा हुआ है
हिम्मत अभी न हारे हैं
रहे सलामत जनता अपनी
प्रभुवर तेरे सहारे हैं
जो जहां है वही रहे
तीन मई तक टारा है
सात...
आज जब पूरा देश COVID-19 के संक्रमण से जूझ रहा है तो प्रत्येक व्यक्ति को अपना घर याद आ रहा है । हर व्यक्ति यह चाह रहा है कि वह अपने गाँव जल्द से जल्द पहुँच जाए ।हालांकि कुछ...